वीडियो वायरल, लोगों की तीखी टिप्पणी और 48 घंटे बाद आई माफी और खेद…
‘अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत
@शैलेष व्यास
एसपी सर ‘अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत’… आपने श्रद्धालुओं से माफी मांग ली, लेकिन कब, जब श्रद्धालु पिटाई के मामले ने तूल पकड़ लिया तब। वह भी एक पुलिसिया प्रदर्शन के बीच, भई वाह कमाल हैं। भगवान महाकाल की तीसरी सवारी मे श्रद्धालुओं की पिटाई, अभद्रता के मामले मे पुलिस अधीक्षक ने खेद व्यक्त कर माफी मांगी हैं।
महाकालेश्वर की सवारी में सोमवार को हुए घटनाक्रम का विरोध करने के लिए बुधवार को कुछ लोग पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचे थे। यहां बैठकर इन लोगों ने भजन गाने शुरू कर दिए। इसके कुछ देर बाद पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा मीडिया से मुखातिब हुए और उन्होंने कहा- जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें काफी दुखद घटनाक्रम सामने आया है, जिस दर्शनार्थी के साथ दुव्र्यवहार हुआ है। इसे पहले ही संज्ञान में लिया गया था। घटनाक्रम में जो अधिकारी-कर्मचारी है वे जिले के बाहर के थे, जिसमें हम एक रिपोर्ट भरवा कर भिजवा रहे हैं ।
वीडियो का पंचनामा बनाकर भविष्य में विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। उज्जैन जिले में जितने भी जो श्रद्धालु आते हैं,उनसे में हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं और खेद व्यक्त करता हूं कि इस तरह का घटनाक्रम भविष्य में नहीं होगा। यहां जो भी लोग आए हैं, उनसे भी हमने संवाद स्थापित किया है और उनका मन द्रवित है, तो हम उनके प्रति भी खेद व्यक्त करके माफी मांगते हैं।
वीडियो नहीं आता तो क्या होता…
जैसा कि पुलिस अधीक्षक कह रहे हैं कि घटान को हमने संज्ञान में लिया है। सवाल यह कि वीडियो आने के पहले पुलिस अमले को इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं थी क्या..? यदि नहीं थी तो साफ है कि पुलिस का सिस्टम समन्वय और सूचना के आदान-प्रदान का सिस्टम कमजोर है। यदि घटनाक्रम की जानकारी मिल गई थी, तो तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई..? इसके लिए वीडियो वायरल होने का इंतजार क्यों किया गया? घटना का विरोध और निंदा सामने आने के बाद पुलिस अधीक्षक कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
अन्य पर क्या कार्रवाई होगी
पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि पुलिसकर्मियों पर हम भविष्य में कार्रवाई करेंगे। इसके बाद यह सवाल भी की अन्य लोग जो गैर पुलिसकर्मी है उन्होंने भी श्रद्धालुओं से दुव्र्यवहार किया उन पर क्या कार्रवाई होगी? श्रद्धालुओं पर हाथ चलाने वालों में पुजारी-पुरोहित और उनके रिश्तेदार भी शामिल है। इसके अलावा वह लोग भी शामिल है जो स्वयंसेवक बनकर सवारी में चल रहे थे। इनमें से तो एक युवक के संबंध में जानकारी मिली है कि उसने कुछ दिन पहले एक श्वान पुल से शिप्रा नदी में फेंक दिया था। उसके खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज हुआ था। इस पर भी सवाल कि इस तरह के लोगों को सवारी में व्यवस्था संभालने के लिए किसने जिम्मेदारी दी। उनके पुलिस रिकॉर्ड का सत्यापन क्यों नहीं किया गया।
इसकी क्या जरूरत थी
बुधवार को कुछ लोग सवारी में हुए घटनाक्रम का विरोध करने पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचे थे। इनमें शामिल युवा भजन गाने लगे। कुछ देर यह सब कुछ चलता रहा। इस बीच पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कुछ पुलिसकर्मी बाहर आए और एक टेबल पर भगवान की मूर्ति को हार फूल के साथ विराजित कर दिया।
आरती का थाल भी आ गया। भगवान की आरती उतारी गई और वहां मौजूद लोगों में प्रसाद का वितरण किया गया। इसकी जरूरत क्या थी..? किसके निर्देश पर ऐसा हुआ। किसी भी विरोध प्रदर्शन के बीच इस तरह से पूजन पाठ आरती और प्रसाद वितरण किसी के भी गले नहीं उतरा रहा है।