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भारत सरकार की 100 करोड़ की राष्ट्रीय शोध परियोजना में विक्रम विवि को मिला स्थान

आईआईटी, इंदौर के साथ मिलकर कई क्षेत्रों में करेगा अनुसंधान

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय को बड़ी उपलब्धि मिली है। भारत सरकार की प्रतिष्ठित पार्टनरशिप फॉर एक्सलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च परियोजना के अंतर्गत विवि को चयनित किया है जो आईआईटी इंदौर के साथ मिलकर ऊर्जा, स्वास्थ्य और पर्याववरण के क्षेत्र में अनुसंधान करेगा। यह परियोजना केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में चलाई जा रही है जिसकी कुल लागत 100 करोड़ रुपए है। योजना के तहत देश के केवल ७ प्रतिष्ठित संस्थानों का चयन किया है जिसमें विक्रम विवि भी शामिल है। यह चयन विवि की शोध दक्षता, नवाचार दृष्टिकोण और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर केंद्रित अनुसंधान प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

 

शोध के मुख्य क्षेत्र
विक्रम विश्वविद्यालय ने आईआईटी इंदौर के साथ मिलकर अनुसंधान के लिए कुल 18 परियोजनाएं प्रस्तुत की हैं जो तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित हैं, उन्नत सामग्री (एडवांस्ड मटेरियल्स) के क्षेत्र में 8 परियोजनाएँ, पर्यावरणीय स्थिरता एवं ऊर्जा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 6 परियोजनाएं और स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 4 परियोजनाएं शामिल हैं। ये सभी परियोजनाएं विक्रम विवि एवं उससे संबद्ध कॉलेज के विभिन्न विभागों के शिक्षकों द्वारा प्रस्तावित की गई है।

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ऐसे हुआ विक्रम का चयन

बैंगलुरु की भारतीय विज्ञान अकादमी में हुए अंतिम मूल्यांकन सत्र में देशभर के 30 से अधिक प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों ने प्रस्तुति दी। विक्रम विवि ने अपने हब संस्थान आईआईटी इंदौर के साथ मिलकर संयुक्त प्रस्तुति दी। विश्वविद्यालय की ओर से कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज तथा परियोजना के मुख्य समन्वयक प्रो. उमेश कुमार सिंह ने प्रतिनिधित्व किया। गहन मूल्यांकन एवं कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद विक्रम विवि का चयन किया गया।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति से प्रेरित परियोजना
दरअसल, यह परियोजना नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना से प्रेरित है और भारतीय अनुसंधान एवं नवाचार प्रतिष्ठान मिशन के अंतर्गत अनुसंधान एवं नवाचार को गति देने के लिए बनाई है। पेयर कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों को वैश्विक नवाचार, नेतृत्व और अनुसंधान के केंद्रों के रूप में विकसित करना है। इस चयन से विक्रम विवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध और नवाचार में अपनी पहचान स्थापित करने का नया मौका मिला है।

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