विक्रमोत्सव 2025: नासा और इसरो के वैज्ञानिक भी आएंगे

उज्जैन की धरती से लिखा जाएगा आज नया इतिहास!

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शिप्रा तट पर विक्रमादित्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने पर हो सकता मंथन

अक्षरविश्व एक्सक्लूसिव सुधीर नागर उज्जैन। पूरा देश अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल 2025 मनाने की तैयारी में जुटा है, लेकिन प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी उज्जैन में आज इयर एंडिंग पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में हिंदू नव वर्ष पर आयोजित होने वाले विक्रमोत्सव की तैयारियों पर मंथन होगा। इसके अंतर्गत देश के नामचीन इतिहासकारों का महाकुंभ होगा, जो एक नया इतिहास भी लिखेगा। नासा और इसरो के वैज्ञानिकों का जमावड़ा भी होगा। उज्जैन में विक्रमादित्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी मंथन हो सकता है।

विक्रमोत्सव इस बार 26 फरवरी से 5 जून तक आयोजित होगा। 30 मार्च को गुड़ीपड़वा से हिन्दू नव वर्ष आरंभ होगा। इसके अंतर्गत उज्जैन में देश के इतिहासकारों का कुंभ आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। इसमें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुन्द पांडेय की उपस्थिति में देश के इतिहास पर मंथन होगा और जरूरी सुधार के प्रस्ताव पारित किए जा सकते हैं।

डॉ. पांडेय का मानना है कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन आज भी अंग्रेजों और इस देश पर आक्रमण करने वाले आक्रांताओं द्वारा लिखे गए इतिहास को ही पढ़ाया जा रहा है। युवाओं को भारत के उस इतिहास से अवगत कराना जरूरी है जिसमें भारतीय परंपरा और भारतीय संस्कृति सम्मिलित हो। इसलिए इतिहासकारों का यह कुंभ महत्वपूर्ण होगा। उत्सव के अंतर्गत उज्जैन में विज्ञान सम्मेलन और ज्योतिष सम्मेलन भी होंगे, जिसमें नासा और इसरो के वैज्ञानिक आमंत्रित किए जाएंगे। आज दोपहर मुख्यमंत्री डॉ. यादव विक्रमोत्सव की तैयारियों पर मंथन करेंगे।

सीएम डॉ. मोहन यादव मंगलवार को शहर पहुंचे। हैलीपेड पर उनकी अगवानी प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल ने की। इस दौरान कलेक्टर और एसपी भी उपस्थित थे।

सरदार पटेल और रामानुजाचार्य की तर्ज पर प्रतिमा!
सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन में गुजरात के केवडिय़ा में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की स्टेच्यू ऑफ इक्वैलिटी की तरह विक्रमादित्य की भी विशाल प्रतिमा स्थापित की जा सकती है।

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