अपर मुख्य सचिव का फरमान, ब्रिज पर न हो दुर्घटना
बढ़ा खर्चा, 40 करोड़ रुपए में फोरलेन ब्रिज बनाने की कवायद
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ की घटनाओं के बाद सिंहस्थ 2028 को लेकर सरकार और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है और बड़ी योजनाओं को लेकर जो योजनाएं बन रहीं वे और चिंता बढ़ा रही। शिप्रा नदी पर दो ब्रिज बनाने की योजना में बड़ी विसंगति यह सामने आई है कि फोरलेन रोड पर टू लेन ब्रिज बनाए जा रहे थे। अब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) इन गलतियों को सुधार रहा है। दोनों ब्रिज बनाने का खर्चा भी अब बढ़ सकता है, क्योंकि इनको फोरलेन बनाने की डीपीआर तैयार की जा रही।
सिंहस्थ तैयारियों के लिए ब्रिज निर्माण के हाल जानने आए अपर मुख्य सचिव (एसीएस) नीरज मंडलोई के सामने शहर में शिप्रा नदी पर प्रस्तावित दो पुलों का मुद्दा भी उठा। इंदौर रोड पर इंजीनियरिंग कॉलेज के पास एक मार्ट के सामने से शिप्रा नदी पर एक ब्रिज प्रस्तावित है। इसी तरह जीवाजी वेधशाला के पास चिंतामन गणेश मंदिर रोड पर होटल सॉलिटेयर के पीछे शिप्रा नदी पर भी एक ब्रिज बनाने की योजना है।
दोनों ब्रिज का काम पहले नगर निगम को सौंपा था, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने अब इनको बनाने से हाथ ऊंचे कर दिए हैं। एसीएस को बताया गया कि निगम के पास इनको बनाने के लिए एक्सपर्ट ही नहीं हैं। निगम ने डीपीआर बनाए बिना ही ज्वाइंट टेंडर लगा दिए थे। इस कारण ठेकेदार भी सामने नहीं आ रहे थे।
बड़ी विसंगति यह भी सामने आई कि रोड फोरलेन बनाए जा रहे जबकि ब्रिज टू लेन बनाने की योजना तैयार की गई। एसीएस ने इनको भी फोरलेन बनाने का निर्देश दिया। ये काम नगर निगम ने पीडब्ल्यूडी को सौंपने का विधिवत पत्र भी जारी कर दिया है। इस कारण पीडब्ल्यूडी ब्रिज नए सिरे से योजना तैयार करने में जुट गया है।
अब फोरलेन ब्रिज बनेंगे, जमीनों के बढ़ी किमतें…
दोनों ब्रिज अब फोरलेन बनाने की तैयारी पीडब्ल्यूडी ब्रिज कॉरपोरेशन द्वारा शुरू कर दी गई है। सर्वे भी ताबड़तोड़ शुरू कर दिया गया है। इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने 175 मीटर लंबा ब्रिज बनाया जाएगा। वेधशाला के पास शिप्रा नदी पर 275 मीटर लंबा ब्रिज बनेगा। दोनों की चौड़ाई 20 मीटर से अधिक होगी। दोनों के बीच सेंट्रल लाइटिंग होगी और फुटपाथ भी बनाएं जाएंगे। डीपीआर जल्द शासन को भेजी जाएगी। अनुमान बताया जा रहा है कि अब 20, 20 करोड़ रुपए का खर्चा आ सकता है।
ब्रिज के काम निगम को क्यों सौंपे…?
बड़ा सवाल अब यह भी उठ रहा है कि ब्रिज के काम पीडब्ल्यूडी द्वारा ही किए जाते हैं तो नगर निगम को यह जिम्मेदारी क्यों दी गई? नगर निगम प्रशासन ने भी इस काम को मना करने में काफी देर कर दी। अगर पहले ही यह निर्णय ले लिया जाता तो अब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई होती। अब टेंडर मंजूर होने और काम शुरू होने में वक्त लग सकता है।
अब रिटायरमेंट के बाद भी देना पड़ेगा जवाब
एसीएस मंडलोई ने कहा है कि ब्रिज सुंदर बनाएं जाएं और लोगों की सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जाए। जो भी डीपीआर तैयार करेगा उसकी जिम्मेदारी होगी। अगर कोई तकनीकी खामी सामने आने पर उस अधिकारी की जवाबदेही होगी जो डीपीआर तैयार करेगा। रिटायरमेंट के बाद भी उस अधिकारी को जवाब देना पड़ेगा या कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा इस बात का ध्यान रखें कि सिंहस्थ के दौरान पुलों पर भीड़ अधिक होगी। इसलिए सुरक्षा के लिए उपाय किए जाएं। जालियां लगाएं ताकि कोई दुर्घटना न हो।
योजना तैयार कर रहे
निगम द्वारा दो ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी हमें दे दी गई है। अब इनको फोरलेन बनाने की योजना तैयार कर रहे हैं।-पीएस पंत, कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी