महाकाल दर्शन कांड…. अभी 30 फीसदी जांच ही हुई और भी बनेंगे आरोपी
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के नाम पर सालों से चल रहा वसूली का खेल सामने नहीं आता, यदि मंदिर की आय कम नहीं हुई होती और श्रद्धालु नहीं बढ़े होते। इस साल के दोनों आंकड़ों में काफी गिरावट दिखने पर कलेक्टर ने सच को तलाशने की कोशिश की और उसके बाद ही श्री महाकालेश्वर मंदिर का दर्शनकांड सामने आ सका।
पूरे मामले को लेकर अक्षरविश्व ने कलेक्टर नीरजसिंह से बात की। उन्होंने बताया कि मंदिर में रुपए लेकर दर्शन करने की शिकायतें लगातार आ रही थीं। सब कुछ यूं ही चल रहा था। दिसंबर में जब आय और श्रद्धालुओं के आंकड़े आए तो वह ठीक नहीं थे। दोनों में अंतर था। चूंकि पिछले चार सालों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के लिए काफी राशि मंदिर पर खर्च की गई है, ऐसे में आय गिरना चिंताजनक था। जब खोजबीन शुरू की गई तो पता चला कि कतिपय लोग अपने फायदे के लिए मंदिर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में जांच करवाई गई, नतीजा सामने है।
कांड की जांच अभी पूरी नहीं
जांच पूरी होने के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है। अभी तो केवल ३० फीसदी ही जांच हुई है। ७० फीसदी बाकी है। यह जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, आरोपी भी बढ़ेंगे।
किसी दूसरी एजेंसी की अभी जरूरत नहीं
दर्शनकांड में भारी लेनदेन को देखते हुए जांच में किसी दूसरी एजेंसी को शामिल करने से कलेक्टर ने इंकार किया है। उनके मुताबिक पुलिस जांच सही ट्रैक पर है। ऐसे में दूसरी एजेंसी को अभी शामिल करने की आवश्यकता नहीं है। जब जरूरत होगी तो दूसरी एजेंसी को भी शामिल किया जाएगा।
महाकाल मंदिर में अब बड़े अधिकारी की जरूरत
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए कलेक्टर प्रशासक पद पर आईएएस की नियुक्ति के पक्ष में दिखे। उनके मुताबिक श्री महाकालेश्वर मंदिर का प्रबंधन 1982 में बने एक्ट के मुताबिक होता है। तब मंदिर छोटा था और श्रद्धालुओं की संख्या भी काफी कम थी। अब हर साल 5 करोड़ लोग दर्शन करने आ रहे हैं। मंदिर का क्षेत्र भी 40 हेक्टेयर हो गया है। यह देश का प्रमुख मंदिर हो गया है। यहां का प्रबंधन अपने आप में बड़ी चुनौती है। यह काम सीनियर अफसर ही कर सकते हैं।