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उज्जैन:आरडी गार्डी में सुबह से रात तक चल रहे ऑपरेशन

मंगलवार को नहीं आए एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन देरी होने से मरीजों में फिर बढ़ जाता ब्लैक फंगस

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उज्जैन। शहर में ब्लेक फंगस को बहुत ही हल्के से लिया जा रहा है। यही कारण है कि इस बीमारी का मुख्य रूप से उपचार कर रहे आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ऐसे गंभीर रोगी पहुंच रहे हैं, जिनके चेहरे पर 50 प्रतिशत तक फंगस आ चुकी है। ऐसे गंभीर रोगियों का उपचार तो चल रहा है लेकिन मुख्य परेशानी यह आ रही है कि एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जिन्हे मिल रहे हैं,उनके पास रूपये नहीं है। यही कारण है कि रोग ठीक होने की जगह बढ़ता जा रहा है। जितना उपचार किया जाता है, पुन: बेकफुट पर आ जाते हैं।

 

जिनकी आंखे निकली, वे हो गए स्वस्थ: डॉ. वैद्य के अनुसार जिन दो मरीजों की आंखें संक्रमण के कारण निकाल दी गई, वे अब ठीक हो गए हैं। पांच मरीजों को पूर्व में छुट्टी दी जा चुकी है। पांच और मरीजों को ंछुट्टी देना है लेकिन उनको इंजेक्शन के डोज बचे हैं। मिलने पर लगाएंगे और डोज पूरा होने पर छुट्टी देंगे। उन्होने बताया कि अभी 45 मरीज भर्ती हैं, जिनका उपचार चल रहा है। सबसे अधिक परेशानी चेहरे पर आ गई फंगस वाले मरीजों को लेकर आ रही है। यह अच्छी बात है कि अभी तक ब्लेक फंगस के एक भी मरीज की मौत नहीं हुई, जबकि इसका प्रतिशत हमेशा 50 से 60 रहता है।

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अस्पताल में कई गरीब मरीज भर्ती, जिनके पास महंगे इंजेक्शन खरीदने के लिए रुपए नहीं
ईएनटी सर्जन डॉ.सुधाकर वैद्य के अनुसार मंगलवार को भी शाम तक इंजेक्शन का इंतजार करते रहे। रात्रि 8 बजे तक ऑपरेशन किए और इंजेक्शन नहीं होने के कारण निराश होकर घर चले गए। कारण बताया कि ऑपरेशन होने के बाद इंजेक्शन तो चाहिए ही सही,ताकि फंगस को पुन: बनने से रोका जा सके ओर जहां तक वह फैल गई है, वहां से आगे न बढ़े। जहां से हटा दी गई है, वहां पुन: न हो। उन्होने बताया कि ऐसे गरीब मरीज भी भर्ती हुए हैं, जिनके पास महंगे इंजेक्शन लगवाने के लिए रूपये नहीं है। हम एंडोस्कोप से फंगस तो हटा रहे हैं लेकिन ऑपरेशन के बाद आवश्यक इंजेक्शन नहीं मिलने से वे रोगी ठीक होने के नजदीक पहुंचकर वापस संक्रमित होते जा रहे हैं। इस समस्या का क्या हल होगा, पता नहीं?

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