नई शिक्षा नीति से हुनर होगा विकसित : 12वीं के बाद जॉब करने लायक बनेंगे स्टूडेंट्स

देश में करीब 34 वर्ष बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति( National Education Policy ) बनाई गई है। इससे पहले 1986 राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। तकरीबन साढ़े तीन दशकों में इस क्षेत्र में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। ऐसे में इन नई शिक्षा नीति ( New Education Policy) को लेकर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। खास तौर विद्याथियों के लिए ये नई शिक्षा नीति एक उम्मीद और सुनहर भविष्य साबित हो सकती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश के नई शिक्षा नीति आने वाले नए भारत की नींव साबित होगी। इसके साथ ही इस नीति में भेड़ चाल की कोई जगह नहीं होगी। यानि एक दूसरे के पीछे भागने के बजाए स्टूडेंट् अपनी पहचान बना सकेंगे।

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क्या है  5+3+3+4 फार्मूला ?

अब शुरुआत स्कूली शिक्षा में किए गए बदलाव से करते हैं. नई शिक्षा नीति में पहले जो 10+2 की पंरपरा थी, अब वो खत्म हो जाएगी। अब उसकी जगह सरकार 5+3+3+4 की बात कर रही है.  5+3+3+4  में 5 का मतलब है – तीन साल प्री-स्कूल के और क्लास 1 और 2 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 3, 4 और 5 उसके बाद के 3 का मतलब है क्लास 6, 7 और 8 और आखऱि के 4 का मतलब है क्लास 9, 10, 11 और 12।

12वीं के बाद जॉब

छात्र छठी कक्षा से वोकेशनल शिक्षा के साथ अप्रेंटिस भी करेंगे। जो छात्र 12वीं के बाद काम-धंधा शुरू करना चाहते हैं, उन्हें अप्रेंटिस से मिले व्यावहारिक ज्ञान से फायदा मिलेगा।

ये है नई शिक्षा नीति का खाका

बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फ़ॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अब तक बच्चे 6 साल में पहली क्लास मे जाते थे, तो नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा, लेकिन पहले के 3 साल भी फ़ॉर्मल एजुकेशन वाले ही होंगे। प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।

स्टूडेंट के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस

इन नई नीति के तहत 6 से 9 वर्ष के विद्यार्थियों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस रहेगा। इस पर काम करने के लिए एक नेशनल मिशन बनेगा। यानी कक्षा तीसरी तक के बच्चों की नींव को मजबूत करने पर फोकस रहेगा

पांचवी तक स्टूडेंट की इंटरेक्टिव स्किल पर फोकस

नई नीति के तहत जब स्टूडेंट पांचवी तक पहुंचेंगे तो यहां इनकी भाषा, गणित और सामान्य ज्ञान के साथ-साथ इंटरेक्टिव स्किल पर फोकस किया जाएगा। खेल-खेल में स्टूडेंट्स का विकास।

मल्टी डिसीप्लीनरी कोर्स

कक्षा 6,7वीं और आठवीं के तीन वर्ष में स्टूडेंट्स को मल्टी डिसीप्लीनरी कोर्स के जरिए भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा।

 12 वीं तक अन्य स्किल विकसित करने की कोशिश

9वी से लेकर 12 वीं तक भी स्टूडेंट्स के लिए मल्टी डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। लेकिन इनके साथ-साथ उनकी रुचि के मुताबिक उन्हें आगे बढऩे में मदद करने पर भी फोकस होगा। जैसे संगीत, खेल, कुकिंक आदि क्षेत्रों में आगे बढ़ाने पर जोर। इस दौरान एक स्किल ऐसा होगा जो उसके भविष्य में आजीविका के तौर पर काम आ सकता है।

हुनर आधारित शिक्षा से होगा विकास

नई शिक्षा नीति से स्टूडेंट्स को जो सबसे बड़ा फायदा होगा वो होगा उनके हुनर का विकास। ये हुनर ना सिर्फ उनके लिए मददगार होगा बल्कि देश के भविष्य को संवारने में भी अहम योगदान दे सकता है।

भेड़चाल चाल की कोई जगह नहीं

हमारे समाज में जिज्ञासा और कल्पना को आगे बढ़ाने के बजाय भेड़चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। एक व्यक्ति इंजीनियर बना और सफल हुआ तो सभी उसके पीछे भागने लगे। लेकिन अब नई नई शिक्षा नीति में भेड़चाल की कोई जगह नहीं है। जो हुनर होगा उसी का विकास होगा।  मेरिट के आधार पर भर्तियां होंगी, मोटिवेट ऊर्जा से भरे सक्षम शिक्षक अब शिक्षा देंगे, ECCE यानी अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन के जरिए बच्चों को बचपन में जिस देखभाल की जरूरत है उसे शिक्षा से जोड़ा जाएगा, तीन से चार वर्ष के ग्रेजुएशन के दौरान स्टूडेंट्स के पास मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प होगा। इससे उसे अपने पसंदीदा क्षेत्र में आगे बढऩे और ज्यादा अवसरों को भुनाने में मदद मिलेगी।

स्टूडेंट्स को ये होंगे फायदे

नई शिक्षा नीति के तहत साइंस के छात्र इतिहास या आर्ट्स के कोई अन्य सब्जेक्ट भी पढ़ सकेंगे। अगर छात्र को इसमें दिक्क्त होती है तो सब्जेक्ट ड्रॉप भी कर सकते हैं।

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