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भारत जोड़ो यात्रा पर विशेष…खुद को नए सिरे से गढ़ते ‘राहुल’

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का एक बड़ा मकसद एकता का अफसाना गढऩा है, लेकिन यह राहुल गांधी के लिए नई राजनैतिक पूंजी जुटाने की कवायद भी है।

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एक दिन पहले सोमवार को इंदौर की प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी की छबि में क्या बदलाव आया हैं? इस सवाल पर राहुल मुस्कुराते हुए बोले भाई साहब..मैंने राहुल गांधी को तो पहले ही छोड़ दिया हैं। राहुल की यह बात भारत जोड़ो यात्रा में नजर भी आ रही हैं।

 

भारत के सबसे ताकतवर सियासी परिवारों में से एक में जन्मे राहुल गांधी 7 सितंबर से असामान्य दिनचर्या का पालन कर रहे है। वे रोजाना करीब 20-25 किमी चल रहे हैं। वे सुबह जल्दी जाग जाते हैं, नाश्ता करते हैं और 7 बजे चलना शुरू कर देते हैं। चार घंटे बाद यात्रा दोपहर के खाने के लिए रुकती है, जिसके बाद वे खास तौर पर बने एक अन्य कंटेनर में झपकी लेने का जतन करते हैं।

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कभी-कभी नजदीक की अहम जगहें देखने निकल जाते हैं, लोगों के जत्थों से गुफ्तगू करते हैं या प्रेस को संबोधित करते हैं। शाम 4 बजे यात्रा का दूसरा चरण शुरू होता है, जो अक्सर सूरज डूबने के बाद भी देर तक चलता रहता है। उनके पैदल चलने के दौरान कंटेनर उस दिन की यात्रा के अंतिम पड़ाव पर ले जाए जाते हैं।

बड़ी सभा नहीं होने पर शाम को वे नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हैं। कुछ ऐतिहासिक यादगार तस्वीरें देते हैं। इन तस्वीरों को उनके पार्टी कार्यकर्ता और उत्साही लोग सोशल मीडिया पर फैला देते हैं।

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उनके मुस्कराने, बातचीत करने, आम लोगों से गले लगने और बच्चों को थामने वाली तस्वीरें हर जगह छा जाती हैं। दिन के कार्यक्रम खत्म होने पर राहुल कंटेनरों के शिविर में लौट आते हैं। रात का खाना खाते हैं और अक्सर कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ गपशप करते हुए अगले दिन की रणनीति बनाते हैं। आखिर में वे अपने कंटेनर की शरण में लौटकर तब तक किताब पढ़ते या अपने मोबाइल फोन में डूब जाते हैं जब तक कि मध्यरात्रि के बाद नींद नहीं आ जाए। यात्रा के दौरान राहुल का यही रूटीन है।

सफेद टी-शर्ट, पतलून और नरम जूते पहने गांधी परिवार के युवराज अगले कुछ दिन और इसी कड़ी तपस्या से गुजरेंगे। कांग्रेस नेताओं के शब्दों में यह कवायद चुनाव जीतने के लिए नहीं है।

इसका मकसद विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकता का अफसाना गढऩा और आम नागरिकों पर सबसे ज्यादा असर डालने वाले मुद्दे—महंगाई और बेरोजगारी—उठाना है। यह यात्रा जनता से उनके जुड़ाव और उन्हें संवेदनशील राजनेता के तौर पर पेश करने का मंच है।

जब वे आम लोगों का हाथ थामे उनके साथ चलते हैं, नन्हे-मुन्नों को गले लगाते हैं, नीचे गिर पड़ी छोटी-सी लड़की को ढाढस बंधाते हैं, या गुलाब भेंट करने के लिए इंतजार कर रहे नि:शक्तजनों से बातचीत करते हैं, उनके साथ चले रहे सैकड़ों कैमरे लाइव तस्वीरें प्रसारित कर रहे होते हैं।

सियासी कवायदों और चर्चा में कांग्रेस के नेता जो बात स्वीकार करना नहीं चाहते, वह यह है कि यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर राहुल गांधी की नई छवि गढऩे के लिए है। यह राहुल की राजनैतिक पूंजी गढऩे के लिए है, जो एक के बाद एक चुनावी हारों से धूल-धूसरित हो चुकी है।

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