संसद की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति मुर्मू का अभिभाषण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखा।
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18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद की संयुक्त बैठक में मुर्मू का यह पहला संबोधन है। नई लोकसभा का पहला सत्र गत सोमवार को शुरू हुआ था। इसके अलावा राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून से शुरू होगा।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आपातकाल पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। भारतीय संविधान ने बीते दशकों में हर चुनौती और कसौटी पर खरा उतरा है। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर कई हमले हुए हैं।
25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर सीधा हमला था। जब इसे लगाया गया तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन देश ने ऐसी संवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त की है। मेरी सरकार भी भारतीय संविधान को सिर्फ शासन का माध्यम नहीं बना सकती। हम अपने संविधान को जनचेतना का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। हमारे जम्मू-कश्मीर में संविधान पूरी तरह लागू किया गया है, जहां अनुच्छेद 370 के कारण स्थिति अलग थी।
उन्होंने कहा कि मैं 18वीं लोक सभा के सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। आप सभी यहां देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं। देशसेवा और जनसेवा का ये सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपना दायित्व निभाएंगे।140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे।
उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। करीब 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और उमंग के साथ अपना कर्तव्य निभाया है। इस बार भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया है। इस चुनाव की बहुत सुखद तस्वीर जम्मू-कश्मीर से भी सामने आई है। कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशकों के रिकॉर्ड टूटे हैं।