सिंहस्थ 2028 में 12 करोड़ श्रद्धालुओं के मान से योजना बनाएं

सिंहस्थ और शिप्रा को लेकर दो संभाग के अधिकारियों की बैठक
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:सिंहस्थ 2028 में 12 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद है। इस संख्या को ध्यान में रखकर योजना बनाएं। शिप्रा नदी में इंदौर-उज्जैन एवं देवास के नालों का गंदा पानी नही मिलना चाहिए। सभी जगह गंदे पानी को रोकने के लिए स्टाप डेम बनाएं।

शिप्रा को साफ रखने के साथ ही इसके जल को पानी आचमन और पीने योग्य बनाना है। सिंहस्थ 2028 को देखते हुए शहर में भीड़ प्रबंधन, श्रद्धालुओ के रुकने, पार्किंग एवं वैकल्पिक मार्ग की प्लानिंग तैयार करें। सिंहस्थ की हर प्लानिंग में साधु संतों एवं महात्माओं की सलाह को अवश्य शामिल करें।
यह निर्देश मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सिंहस्थ और शिप्रा को लेकर उज्जैन और इंदौर संभाग के अधिकारियों की बैठक दिए। मुख्यमंत्री कान्हा नदी के गंदे पानी को रोकने के लिए बनाई गई गलत प्लानिंग पर सख्त नाराजगी व्यक्त की। सीएम ने शिप्रा नदी के उद्गम स्थल से लेकर समाप्ति स्थल तक की प्लानिंग तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिप्रा नदी जल को स्वच्छ और आचमन योग्य बनाने के लिए इंदौर, उज्जैन एवं देवास के सभी संबंधित अधिकारी कार्य योजना बनाएं। सभी जगह गंदे पानी को रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में स्टॉप डेम बनाएं।
कान्ह डायवर्शन योजना क्यों फेल हुई
सिंहस्थ २०१६ के पहले कान्ह के पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए बनी कान्ह डायवर्शन योजना को लेकर कहा कि यह योजना फेल क्यो हो गई। मुख्यमंत्री नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2016 के सिंहस्थ में अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि शिप्रा नदी शुद्ध एवं साफ रहेंगी पानी पीने योग्य रहेगा। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी योजना असफल रही। योजना असफल क्यों हुई इसका पता लगाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा दोबारा नही हो। एक बार में ही ऐसी योजना बनाई जाए की शिप्रा हमेशा के लिए शुद्ध साफ एवं उसका पानी पीने योग्य, आचामन योग्य रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार गलत प्लानिंग हुई तो अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी ।
यह भी निर्देश दिए
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार से शिप्रा शुद्धिकरण के लिए आवश्यक बजट की मांग की जाएगी।
सिंहस्थ जुड़वा इंदौर, देवास, ओंकारेश्वर, खंड़वा, मंदसौर और नलखेड़ा से भी रहता है। अत: कार्ययोजना में इन शहरों तथा वहां के प्रमुख धार्मिक स्थानों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर योजना बनाएं।
कार्ययोजना में साधु-संतों के सुझाव को शामिल किया जाए।
शिप्रा नदी शुद्धिकरण के साथ ही उज्जैन के महाकाल मंदिर तक जाने के लिए सड़क मार्ग चौड़ीकरण, मंदिर तक जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग की प्लानिंग, पावर स्टेशन,हवाई पट्टी विस्तार,यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था,वाहन पार्किंग,भीड़ प्रबंधन के लिए भी वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था सुनिश्चित करना है।
इंदौर में शिप्रा नदी में नालो का गंदा पानी रोकने के लिए 9 स्टॉप डेम बनाए जाएंगे। ठ्ठ शिप्रा किनारे देवस्थानों,वाल्मीकि घाट, सिद्धवट, काल भैरव, सिद्धनाथ आदि के घाटों का भी विस्तार होगा।









