अपने बच्चे के दोस्त बनने के लिए अपनाएँ ये टिप्स

पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चों के साथ उनकी ऐसी बॉन्डिंग हो जिससे बच्चे उन्हें कोई भी बात बताने में झिझक महसूस न करें। लेकिन क्या ऐसा हो पाता है? शायद आप सोच रहे होंगे कि नहीं या बहुत मुश्किल है! बढ़ती उम्र में बच्चों में शारीरिक बदलाव के साथ ही मानसिक बदलाव भी आते हैं। ऐसे में बच्चे नहीं चाहते कि कोई उन्हें डांटे, उनकी बेइज्जती करें या फिर पेरेंट्स उन पर अपने निर्णय थोपें।
माता पिता होने के नाते आपको यह समझने की जरूरत है कि बच्चों को डांट की नहीं बल्कि आपके प्यार और दोस्ताना व्यवहार की जरूरत है। लेकिन कैसे बना जाए बच्चों के दोस्त?
बच्चों की हरकतों पर गौर करें
इस उम्र में बच्चों के व्यवहार में कई तरह के बदलाव आते हैं। जैसे की महंगी गाड़ियों या फोन की ओर आकर्षित होना, अपोजिट लिंग में रुचि लेना और दोस्तों के साथ घूमना फिरना आदि। बच्चों को पता होता है कि अगर ये बातें वह अपने पेरेंट्स के साथ शेयर करेंगे तो वह उन्हें डाटेंगे। ऐसे में बच्चे धीरे धीरे माता पिता से दूर होते जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ बैठें, उनके शौक को जानें, उनके दिमाग में क्या चल रहा है यह जानने की कोशिश करें और कुछ गलत लगे तो डांटने के बजाय फ्रेंडली तरह से उन्हें समझाएं।
वक्त बिताएं बच्चों के साथ
रिलेशन चाहे कोई भी हो, वक्त बिताने से रिश्ते में मजबूती आती है। बढ़ती उम्र में बच्चों के दिमाग में कई तरह की बातें चलती हैं जिन्हें वह किसी के साथ शेयर करना चाहते हैं। लेकिन पेरेंट्स के डर की वजह से वह बताने में झिझकते हैं। अगर आप बच्चों के साथ वक्त बिताना शुरू करेंगे तो वह आपको वो सब बातें बताएंगे जो वो अपने दोस्तों केा बताते हैं। इससे आपको पता भी चलेगा कि आपके बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं। जब आप बच्चों के साथ वक्त बिताएं तो उनके साथ अपने भी कुछ अनुभव या किस्से शेयर करें जिससे उन्हें हंसी आए और आप पर विश्वास भी बनें।
जोर जबरदस्ती न करें
बच्चे और माता पिता में दूरी का सबसे बड़ा कारण जोर जबरदस्ती करना है। पेरेंट्स होने के नाते आपको यह समझने की जरूरत है कि बच्चे जो भी बोल रहे हैं वह अपनी उम्र के हिसाब से बोल रहे हैं। उन्हें डांटने के बजाय सही और गलत में फर्क बताएं। बच्चों को बताएं कि सही और गलत की पहचान कर वह अपनी जिंदगी का हर फैसला खुद ले सकते हैं। इससे न सिर्फ बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि वे आपकी इज्जत भी करेंगे।
समय के साथ अपनी सोच बदलें
अगर आप सिर्फ यह सोचते हैं कि सिर्फ बच्चों को बदलकर आप बेस्ट पेरेंट्स बन सकते हैं तो ये आपकी गलतफहती है। सबसे पहले जरूरी है आपका खुद का बदलना। समय के साथ अपनी सोच को भी बदलें। क्योंकि एक तो आपके और बच्चों के बीच में पहले से ही जेनरेशन गैप होता है, फिर आप उनकी बातों को समझने की बजाय उन पर अपने फैसले थोपते हैं तो बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और आपसे बहुत दूर चले जाते हैं। इसलिए अगर आप बच्चों के दोस्त बनना चाहते हैं तो उनके साथ उनकी जैसी ही बातें करें।
सही और गलत में फर्क बताएं
बच्चों को सही और गलत का फर्क नहीं पता होता है। यही कारण है कि वह कुछ भी बोलते हैं। जब बच्चा कोई गलत बात कहे तो उसे डांटने के बजाय उसे फनी तरीके से ट्रीट करें। फिर कोई उदारण देकर या बच्चों के सामने विकल्प रखकर उन्हें सही और गलत के बीच का फर्क बताएं।