आज बडऩगर और नागदा में सभाएं, कल शहर में लगाएंगे जोर
अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:विधानसभा चुनाव करीब आ गया है, लेकिन इस बार सीएम शिवराजसिंह चौहान सहित भाजपा के बड़े स्टार प्रचारकों की उज्जैन से दूरी चर्चा का विषय बन रही है। पार्टी तराना सीट पर सीएम आदित्यनाथ योगी की सभा कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है। इस बीच हिंदूवादी नेता जयभानसिंह पवैया ने प्रचार का मोर्चा संभाल लिया है। वे बुधवार को उत्तर क्षेत्र में सभा लेंगे।
भाजपा ने इस बार उज्जैन जिले की सात सीटों पर जोखिम भरे फैसले कर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। उज्जैन उत्तर, बडऩगर, तराना और महिदपुर में पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है। उज्जैन उत्तर में संगठन ने विधायक पारस जैन को टिकट न देकर अनिल जैन कालूहेड़ा को अधिकृत प्रत्याशी बनाया है। इस कारण क्षेत्र में किसी बड़े स्टार प्रचारक की सभा की जरूरत महसूस की जा रही है।
सीएम योगी मप्र दौरे पर आ रहे हैं। इस कारण उनकी सभा के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि तराना सीट के लिए उनकी सभा कराने पर ज्यादा जोर लगाया जा रहा है। इसके बाद भी कोशिश की जा रही है कि किसी तरह योगी की सभा के लिए समय मिल जाए। सीएम शिवराजसिंह चौहान की भी इस बार सभा नहीं हो सकी है। हालांकि पार्टी नेताओं की दलील है कि सीएम शिवराजसिंह इस बार उज्जैन जिले की सातों सीटों पर पार्टी की मजबूत पकड़ को लेकर आश्वस्त हैं। इस कारण वे प्रदेश की उन सीटों पर फोकस कर रहे, जहां भाजपा की स्थिति कमजोर है या और ज्यादा ताकत लगाने की जरूरत महसूस की जा रही।
पवैया की नुक्कड़ सभा की तैयारी
जयभान सिंह पवैया मंगलवार को शहर आए। वे आज बडऩगर और नागदा दौरे पर रहेंगे। बुधवार शाम शहर में सभा के माध्यम से पार्टी के प्रचार को ताकत देंगे। कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण कार्ड खेलकर माया त्रिवेदी को मैदान सौंपा है। शहर में अब तक केवल गृहमंत्री अमित शाह की ही सभा हो सकी है।
पार्टी की चिंता यह है कि चुनाव से ठीक पहले कोई बड़ी सभा हो जाए तो मुश्किल राह आसान हो सकती है। सूत्रों के अनुसार संगठन ने अब यह साफ कर दिया है कि अगर किसी बड़े स्टार प्रचारक की सभा होगी तो वह उत्तर क्षेत्र में होगी, दक्षिण में नहीं।
यूपी के नेताओं की चुनाव पर नजर
उज्जैन के चुनाव पर यूपी के नेताओं की भी नजर है। रविवार को बहराइच के सांसद उज्जैन आए और विभिन्न क्षेत्रों की नब्ज टटोली। सूत्रों की मानें तो पार्टी केंद्रीय नेतृत्व पूरे चुनावी परिदृश्य पर नजर जमाए हुए हंै क्योंकि मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनाव परिणाम का असर राज्यसभा पर भी पड़ेगा।