उज्जैन:कर्ज लेकर बिल चुकाया, तब घर जा पाया

कोरोना योद्धाओं के परिजनों की व्यथा

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पत्नी बोली- इलाज के पैसे नहीं, गंभीर पति को ऐसे ही लेकर घर जाऊंगी

उज्जैन। कोरोना की जंग में सबसे ज्यादा संघर्ष और जान जोखिम में अगर कोई डाल रहा है तो वह स्वास्थ्य विभाग का अमला। अगर वे किसी हादसे का शिकार हो जाए तो उनके और परिजनों के सामने संकट खड़ा हो जाता है। निजी अस्पताल प्रबंधन बगैर बिल वसूले मरीजों को नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही वाकया ड्रेसर संतोष सोलंकी और उनके परिजनों के सामने खड़ा हो गया है। इलाज का खर्च 2 लाख 90 हजार हो गया तो अस्पताल ने गंभीर हालत में डिस्चार्ज कर दिया है। लेकिन इससे पहले बड़े भाई और भतीजे सचिन राठौर से पूरा पैसा ले लिया। अब संतोष घर पर पहुंचे हैं।

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संतोष की परिजन के मुताबिक 28 अप्रैल को उज्जैन से चांपाखेड़ा बाइक से ड्यूटी के लिए जा रहे पति संतोष सड़क हादसे का शिकार हो गए। उन्हें गंभीर रुप से घायल होने पर उज्जैन के मेवाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 15 दिन में इलाज का खर्च 2 लाख 90 हजार तक पहुंच गया। परिवार के पास इतना पैसा नहीं था। अस्पताल ने बगैर पैसा लिए डिस्चार्ज करने से इंकार कर दिया। उन्हें ब्लैंक चेक देकर मरीज को घर ले जाने का सुझाव दिया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। तब कर्ज लेकर पैसा दिया। तब छुट्टी मिली।

किसी से जानकारी मिली थी कि संतोष सोलंकी हादसे का शिकार हो गए हैं। विभागीय कर्मचारी हैं। मेडिक्लेम या अन्य कोई मदद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिलती होगी तो आवेदन मिलने पर उसे इन्हें दिलाने का प्रयास किया जाएगा। सभी की कामना है कि जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।
-कमल सोलंकी,बीएमओ खाचरौद

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अस्पताल में उनके परिजन लिखकर देकर गए हैं कि वे इलाज से खुश हैं। ब्लैंक चेक वाली बात अफवाह है। यह सही है कि उनका इलाज का खर्च 2 लाख 90 हजार रुपए बना था। – दीपेश पडोदिया, मेवाड़ा अस्पताल उज्जैन

ब्लैंक चेक का आफर दिया था,उसे अस्पताल ने यह कहकर खारिज कर दिया कि कहां पीछे-पीछे घूमेंगे। तब दूसरे से कर्ज लेकर पैसा चुकाया है।
-सचिन राठौर, घायल का भतीजा

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