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10 दिन आराधना के बाद पार्थिव गणेश विसर्जन

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शिप्रा नदी के घाटों से लेकर कुंड व तालाबों में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध

उज्जैन:गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हुआ 10 दिवसीय गणेशोत्सव आज अनंत चौदस पर पार्थिव गणेश विसर्जन के साथ सम्पन्न हो रहा है। लोगों ने घरों में विराजित की गई गणेशजी की मूर्तियों का विधिवत पूजन अर्चन व भोग लगाकर बिदाई दी। प्रशासन द्वारा नदी और तालाबों में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया है। इसको लेकर शिप्रा नदी के घाटों व तालाबों के आसपास पुलिस और नगर निगम की टीम को तैनात किया गया है।

सुबह ढोल नगाड़ों की थाप पर डांस करते युवा और विभिन्न मंडलों के लोग गणेशजी की मूर्ति विसर्जन के लिये नदियों व तालाबों तक पहुंचे। यहां घाट पर मूर्ति रखकर भगवान की आरती पूजन कर प्रसाद वितरण के बाद मूर्तियों को नगर निगम के वाहन में रखने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रशासन द्वारा मूर्तियों का नदी व तालाबों में विसर्जन प्रतिबंधित किया गया है।

शिप्रा नदी के सभी प्रमुख घाटों पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात है इसके अलावा नगर निगम द्वारा ट्रैक्टर, ट्राली, आयशर वाहनों में बैनर और हार फूल लगाकर उक्त स्थानों पर खड़े किये गये हैं। नगर निगम अफसरों और कर्मचारियों द्वारा मूर्ति विसर्जन न करते हुए वाहनों में रखने की बात लोगों से कही गई। नगर निगम द्वारा हीरामिल की चाल स्थित तालाब के आसपास बेरिकेडिंग कराई गई और मूर्ति विसर्जन स्थल के आसपास वाहनों को खड़ा किया गया है यही स्थिति रामघाट की भी है। नगर निगम अफसरों का कहना था कि मूर्तियां एकत्रित कर कालियादेह महल के आगे शिप्रा नदी में विसर्जित की जाएंगी।

नहीं निकलेगा झांकियों का कारवां

अनंत चौदस की रात शहर में पूरी रात झांकियों का कारवां निकलता था लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले वर्ष झांकियां निकालने पर प्रतिबंध लागू हुआ जो इस वर्ष भी जारी है इस कारण सार्वजनिक समितियां, मंडलों द्वारा दिन में ही कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक चल समारोह निकालकर गणेशजी की प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे।

हीरा मिल कुंड पर क्रेन से विसर्जन
हीरा मिल की चाल स्थित कुंड पर गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए नगर निगम ने क्रेन की व्यवस्था भी की थी। यहां लोग प्रतिमा लेकर आ रहे थे, उन्हें क्रेन की सहायता से ट्रेक्टर-ट्रॉली में रखा जा रहा था। नगर निगम द्वारा अलग-अलग ट्रैक्टर-ट्रॉली रखे गए है जिनमें एक वाहन में गणेश प्रतिमाएं और दूसरे वाहन में हार-फूल व अन्य पूजन सामग्री को रखा जा रहा था। ये प्रतिमाएं कालियादेह महल से आगे शिप्रा में विसर्जित की जाएगी।

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