उज्जैन:माधवनगर अस्पताल में डॉक्टर्स परेशान डेथ ऑडिट करें या मरीज को संभाले…!

दो आईसीयू, दोनों में आधे-अधूरे उपकरण

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उज्जैन। माधवनगर हॉस्पिटल में कल करीब 15 मौतें होने के समाचार है। जितनी मौते हुई, उनका डेथ ऑडिट और सर्टिफिकेट बनाने में कुछ डॉक्टर्स जुटे रहे। वे तय नहीं कर पा रहे थे कि यह कागजी काम करे या गंभीर मरीजों को संभाले। इसी जद्दोजहद में वरिष्ठ डॉक्टर्स की खरी-खोटी सुन रहे थे कि अभी तक इतना सा काम नहीं हुआ? इन सबको लेकर अब जूनियर डॉक्टर्स की टीम में अवसाद आने लग गया है। उनके अनुसार इतना प्रेशर तो प्रायवेट हॉस्पिटल की आईसीयू में नहीं रहता है।

माधवनगर अस्पताल में कल ओल्ड और न्यू आईसीयू में ही 10 मौते हुई। सूत्रों का दावा है कि इसके अलावा आर्थो, मेडिकल और ओल्ड आय वार्ड में करीब 5 मौतें होने की जानकारी है। इन सबके बीच जूनियर डॉक्टर्स एवं पेरा मेडिकल स्टॉफ जमकर झूज रहा है। उनका कहना है कि हर दूसरा मरीज गंभीर हो जाता है। तत्काल सभी भागते हैं और मरीज को संभालते है। जो मुख्य समस्या अभी भी आ रही है, वह ऑक्सीजन का फ्लो है। लिक्विड की जगह जम्बो सिलेंडर लगाने पर यह फ्लो कम हो जाता है। जब तक मरीज को संभालते हैं, बाय पेप लगाने की स्थिति आ जाती है। यहां ठीक करते हैं तो वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ती है।

यह कमी है मुख्य रूप से: न्यू एवं ओल्ड आयसीयू में 35 बेड पर करीब 8 वेंटीलेटर है। करीब इसलिए कि इनमें से भी कुछ खराब है। मल्टी पेरा मानीटर केवल 13 ही है, जबकि आईसीयू में हर बेड पर होता है। वेंटीलेटर लगाने पर हाई फ्लो ऑक्सीजन लगती है,जोकि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। क्योंकि सभी पाइंट पर एक ही फ्लो चल रहा है।

मुख्यमंत्री आए थे आसपास के जिलों से लाकर लगाए थे उपकरण
गत वर्ष डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाते समय यहां आईसीयू में तमाम इंतजाम किए गए थे। जहां-जहां से उपकरण लाकर मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए रखे गए थे, वे मुख्यमंत्री के जाने के बाद वापस संबंधित जिलों में भेज दिए गए। इसके बाद से यहां कोई देखने वाला नहीं है कि उपकरण कितने हैं और कितने चाहिए? इनकी उपयोगिता मरीजों के लिए कितनी है?

यह हुआ कल एक मरीज के साथ…
कल एक कोरोना पॉजीटिव मरीज की मौत के पूर्व का मंजर यह था कि डॉक्टर्स तय नहीं कर पा रहे थे कि उसे आईसीयू के किस बेड पर लें तथा वेंटीलेटर कम होने के कारण किस मरीज का वेंटीलेटर निकालें। ऑक्सीजन का प्रतिशत लगातार कम होने के चलते बायपेप लगाकर काम चलाया गया। एन वक्त पर वेंटीलेटर लगाया गया, तब तक मरीज की स्थिति शत प्रतिशत बिगड़ चुकी थी। दो घंटे बाद मरीज की मौत हो गई। मरीज को शुगर थी, यह स्टॉफ को पता था। दोपहर में मरीज के घर फोन करके कहा कि इंसुलिन का एंपुल ले आओ, इंजेक्शन देना है। स्टॉफ का कहना था कि इमरजेंसी दवाई तो ठीक, इंसुलिन भी नहीं मिल रही है सीएमएचओ स्टोर से। डॉक्टर्स ने स्वीकारा कि यदि आईसीयू वेल अपडेट हो तो कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

माधवनगर अस्पताल की ओपीडी में रोज पहुंच रहे 600 से अधिक लोग

काउंसलिंग के बाद दे रहे दवाई और करवा रहे कोरोना टेस्ट

उज्जैन। माधवनगर में रोजाना 600 से अधिक लोग सर्दी-जुकाम-खांसी-बुखार-दस्त आदि की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। यहां उपस्थित पेरा मेडिकल स्टॉफ एवं डॉक्टर्स द्वारा सतत काउंसलिंग की जा रही है। सुबह से रात तक काउंसलिंग चल रही है। मरीजों को बताया जाता है कि वे दवाई लें, आइसोलेट हो जाएं, टेस्ट करवाकर जाएं। रिपोर्ट आने पर संपर्क किया जाएगा। प्रभारी डॉ. संजीव कुमरावत के अनुसार काउंसलिंग की प्रक्रिया सतत चल रही है।

ओपीडी फुल चल रही है। बावजूद इसके अभी भी लोगों की संख्या कम है, जितनी मानी जा सकती है। कई लोग अभी भी प्रायवेट डॉक्टर्स से सलाह लेकर उपचार करवा रहे हैं और चार से पांच दिन बाद गंभीर होने पर यहां आकर समस्या बता रहे हैं। उन्होंने अपील की कि लक्षण महसूस होते ही यहां आ जाएं, ताकि जांच करवाई जा सके और उचित परामर्श दिया जा सके।

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