Wednesday, May 31, 2023
Homeउज्जैन समाचारउज्जैन:विधानसभा 2018 की 44684 की लीड 736 पर सिमटी

उज्जैन:विधानसभा 2018 की 44684 की लीड 736 पर सिमटी

महेश को मिले वोट ने उज्जैन नगर भाजपा की बढ़ाई चिंता

उज्जैन।भले महापौर पद के संघर्ष में कांग्रेस के महेश परमार को पराजय हाथ लगी हैं, लेकिन उन्होंने ने आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की चिंता और तनाव को बढ़ा दिया हैं। दरअसल महेश ने 54 वार्डों से जो वोट हासिल किए हैं वो विधानसभा 2018 में भाजपा को उत्तर-दक्षिण क्षेत्र की बढ़त या कांग्रेस पर जीत के अंतर से बहुत ही कम कर दिया है।

उज्जैन नगर निगम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार भले ही हार गए हो लेकिन उन्होंने उज्जैन उत्तर और दक्षिण के भाजपा खेमों की चिंता जरूर बढ़ा दी है। परमार ने दोनों विधानसभा में शामिल 54 वार्डों में जितने वोट प्राप्त किए है,वह आगामी विधान सभा चुनाव से पहले सियासी पारे का बढ़ाने वाले है। साथ ही दक्षिण सीट पर नतीजे उलट फेर कर सकते है।

जिसके चलते भाजपा के आला नेताओं को जरूर चिंता में डाल दिया है। नगर निगम चुनाव में महेश परमार को महापौर पद के लिए 133358 मिले वोट मिले हैं। इसके बावजूद परमार 736 वोटों से चुनाव हारे हैं।

विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों पर नजर डाले तो उज्जैन उत्तर में भाजपा के पारस जैन ने कांग्रेस के राजेंद्र भारती को 25 हजार 724 मत और उज्जैन दक्षिण में भाजपा के मोहन यादव ने कांग्रेस के राजेंद्र वशिष्ठ को 18 हजार 960मतों के बड़े अंतर से हराया था।

38

दोनों विधानसभा में भाजपा उम्मीदवारों के जीत के कुल वोट का आंकलन करे तो पता चलता है उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधान सभा के मौजूदा विधायक ने विधान सभा चुनाव 2018 में कुल 44 हजार 684 वोट से जीत हासिल की थी। परमार ने इस लीड को 736 वोटों पर ला खड़ा किया।

विधानसभा में बढ़त 44 हजार से अधिक

विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर और दक्षिण में भाजपा के प्रत्याशियों ने कुल जीत के जो वोट हासिल किए थे परमार ने उन्हें काफी हद तक पाट दिया है। बता दें कि उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का आता है। उसे अलग कर दिया जाए तो वोटों के आकड़े भाजपा की चिंता बढ़ाने के लिए पर्याप्त है।

चिंता का यह भी कारण...वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव है। भाजपा निकाय चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देख रही थी। कांटे की लड़ाई ने पार्टी व संगठन को चिंता में डाल दिया है। इससे पहले पार्टी का कोई भी महापौर, विधायक व सांसद प्रत्याशी तो शहर से इतनी कम लीड तो नहीं लाया है। चूंकि विधानसभा के बाद ही लोकसभा के भी चुनाव हैं, ऐसी स्थिति में भाजपा की चिंता बढऩा स्वभाविक है।

GFG

जरूर पढ़ें

मोस्ट पॉपुलर

error: Alert: Content selection is disabled!!