उज्जैन के गणेश जी गुजरात और राजस्थान में विराजेंगे

By AV NEWS

15 फीट ऊंची मूर्ति 40 हजार रुपए की, कारीगरों के संकट से बढ़े दाम

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन महाकाल नगरी उज्जैन में बन रही गणेश जी की मूर्तियां गुजरात और राजस्थान में स्थापित की जाएंगी। 15 फीट ऊंची मूर्ति की कीमत 35 हजार से भी ज्यादा है। कारीगरों और मजदूरों की कमी से इस बार गणेश प्रतिमाओं की कीमतें ज्यादा रहेंगी। उज्जैन में बनी गणेश प्रतिमाएं प्रदेश के कई स्थानों तक ले जाई जाती हैं, लेकिन गुजरात और राजस्थान के कई भक्त मंडल भी यहीं से बड़ी प्रतिमाएं बनवाते हैं।

नानाखेड़ा रोड, नीलगंगा चौराहा पर पिछले 50 साल से गणेश प्रतिमाएं बनाने वाले जयश्री आर्ट्स के महेंद्र परमार ने बताया मूर्तियां बनाने का काम उनका पुश्तैनी है। गुजरात-राजस्थान के कई भक्त मंडलों ने उनके यहां मूर्ति बनाने का ऑर्डर बुक किया है। वे 22 फीट से लेकर 1 फीट ऊंची तक प्रतिमाएं बना रहे हैं। 15 फीट ऊंची 5 मूर्तियां 35, 35 हजार रुपए में बुक की हैं।

इस बार दो शुभ संयोग:

1. 19 सितंबर को दोपहर 1.48 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा।

2. इसके बाद रात तक विशाखा नक्षत्र, और वैधृति योग भी रहेगा।

10 फीट की 40 मूर्तियां 25 से 28 हजार रुपए तक की है। सबसे छोटी मूर्ति की कीमत 50 रुपए है। परमार ने बताया कारीगर और लेबर मुश्किल से मिल पाते हैं। इस कारण मूर्ति बनाने की लागत बढ़ गई है। 19 सितंबर, मंगलवार को गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना कर पूरा देश दस दिनों का गणेशोत्सव मनाएगा। मूर्ति बनाने वाले कलाकार इन दिनों मूर्तियां बनाने में जुटे हुए हैं। पूरे शहर में 10 से अधिक स्थानों पर मूर्तियों का निर्माण हो रहा। बंगाली कलाकार भी महंगी मूर्तियां बना रहे।

पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह लगे रोक

पर्यावरण संरक्षण के लिए मिट्टी की मूर्तियां लोगों द्वारा अधिक पसंद की जाने लगी है, लेकिन आज भी प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां बनना बंद नहीं हो सकी हैं। इस कारण स्थानीय कारीगरों की पीड़ा यह है कि उन पर तो सख्ती कर दी जाती है, लेकिन कई लोग राजस्थान से यहां आते हैं और पीओपी की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं। उन पर सख्ती से रोक नहीं लग पातीं।

आओ घर-घर लाएं मिट्टी के गणेश…

पर्यावरण संरक्षण के लिए भाजपा प्रदेश सह कोषाध्यक्ष अनिल जैन कालूहेड़ा ने आह्वान किया है कि मिट्टी के श्री गणेश की प्रतिमाओं की स्थापना घर-घर करें। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा भारतीय संस्कृति में मिट्टी से बनी श्रीगणेश प्रतिमाएं स्थापित करने की ही परंपरा है।

इस उद्देश्य से पिछले दस सालों अभियान चला रही लोकमान्य तिलक महाआयोजन समिति के संयोजक अनिल जैन कालूहेड़ा और सहसंयोजक जगदीश पांचाल के नेतृत्व में शहर के पंडालों में नि:शुल्क प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। शहर के 350 स्थानों पर सार्वजनिक मंडलों द्वारा मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। इसके लिए 10 अगस्त से कार्यशाला शुरू की जा चुकी है।

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