उज्जैन : जिला अस्पताल की ब्लैक फंगस हेल्प लाइन को लगी नजर

By AV NEWS

सुबह से शाम तक खाली पड़ी रहती है कुर्सी, यहां कोई नहीं बैठता

लोग यहां आते, कुछ देर रूकने के बाद ईएनटी ओपीडी में चले जाते

अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। कोविड-19 के सह संक्रमण के रूप में सामने आई ब्लैक फंगस की बीमारी को लेकर जिला अस्पताल के मुख्य भवन में एक वार्ड अलग से बनाया गया है,जहां ऐसे 6 मरीजों का उपचार हो रहा है। वहीं सेठी भवन के ग्राउण्ड फ्लोर में ईएनटी वार्ड के बाहर, जनरल ओपीडी के सामने कोने में एक हेल्प डेस्क बनाई गई है। जिसे ब्लैक फंगस के मरीजों की काउंसलिंग के रूप में प्रचारित किया गया है।

कहने को सिविल सर्जन ने यहां एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई है, लेकिन यहां पर कोई नहीं बैठता। सुबह हॉस्पिटल प्रारंभ होने से शाम 6 बजे ताला लगने तक यह कुर्सी खाली ही रहती है। लोग यहां आते हैं, कुछ देर रूकते हैं ओर पूछताछ के बाद ईएनटी की ओपीडी में चले जाते हैं। हेल्प डेस्क मात्र छलावा सिद्ध हो रही है। यदि यहां पर संदिग्ध मरीजों की काउंसलिंग हो जाए, तो मरीजों को भटकना नहीं पड़े। वहीं ईएनटी की ओपीडी में काम कर रहे स्टॉफ को काउंसलिंग का समय बचने पर आगे की कार्रवाई के लिए समय मिल जाएं।

अभी तक 500 से अधिक संदिग्ध आ चुके, चिह्नित मात्र 14

ईएनटी की ओपीडी में कार्यरत स्टॉफ के अनुसार रोज लोग पूछते हुए यहां आते हैं। उनकी काउंसलिंग हमें करना पड़ती है। काउंसलिंग के साथ उनका नाम, पता आदि और बीमारी के बारे में पूछताछ की जाती है। अनेक लोग समाचार पत्रों में पढऩे के बाद शरीर पर आने वाले अन्य प्रकार की बीमारी के लक्षण को भी ब्लैक फंगस मानकर आ जाते हैं। जांच के पश्चात ऐसे मरीजों में गिनती के ब्लैक फंगस के मरीज मिलते हैं। जब से यहां कार्य शुरू हुआ, तब से अभी तक 500 से अधिक लोग आ चुके हैं, जिन्हे संदिग्ध कहा जाता है। इनमें मात्र 14 ही ब्लेक फंगस के निकले। 14 में से 6 का उपचार चल रहा है और शेष किसी अन्य हॉस्पिटल में जाकर भर्ती हो गए।

जिला अस्पताल के प्रति अविश्वसनीयता नहीं हुई खत्म

जिला अस्पताल में मरीजों के लिए वार्ड बनाया। वहीं ईएनटी सर्जन डॉ.पीएन वर्मा और डॉ.अंशू वर्मा द्वारा सर्जरी एवं उपचार किया जा रहा है। बावजूद इसके यहां पर मरीज उपचार को तैयार नहीं है। काउंसलिंग पश्चात तय हो जाता है कि व्यक्तिको ब्लैक फंगस है, वह अगले दिन भर्ती होने का कहकर चला जाता है। वापस नहीं आता। अस्पताल से कॉल जाती है तो पता चलता है कि वह प्रायवेट या आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो गया।

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