उज्जैन नगर निगम पर 3 करोड़ की पेनल्टी

By AV NEWS

प्रदूषण विभाग ने जारी किया नोटिस, 15 दिन की मोहलत…

एनजीटी मामले में बड़ी कार्रवाई से प्रशासन में हलचल

गोवर्धन सागर सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट टेंडर खुलने के बाद भी अटका

सुधीर नागर|उज्जैन। गोवर्धन सागर सहित उज्जैन के सात प्राचीन सागरों को लेकर एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में चल रहे केस को लेकर प्रदूषण विभाग ने नगर निगम पर 3 करोड़ की पेनल्टी लगाई है। इस सिलसिले में एक नोटिस जारी कर राशि जमा करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी गई है। इधर गोवर्धनसागर के सौंदर्यीकरण के लिए योजना बनने और टेंडर खुलने के बाद भी मामला अधर में पड़ा हुआ है। इससे भी निगम प्रशासन की मुसीबतें बढ़ सकती हैं।

प्रदूषण विभाग के नोटिस से निगम के अफसरों में खलबली मच गई है। सूत्रों के अनुसार मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल, भोपाल ने 24 जनवरी को नोटिस (पत्र क्रमांक 1908) जारी किया है। 15 दिन में यह राशि जमा कराने को कहा गया है। दरअसल, एनजीटी में पिछले तीन सालों से प्रकरण चल रहा है। मंथन पारमार्थिक संस्था के अध्यक्ष बाकिरअली रंगवाला ने एनजीटी में मप्र सरकार को पार्टी बनाया है। उज्जैन के सप्तसागरों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए यह केस दायर किया गया था। मामले में प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने 7 सितंबर 2022 को नगर निगम पर डेढ़ करोड़ की पेनल्टी लगाई थी। इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। इस कारण अब इसे बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है।

गोवर्धन सागर को तालाब घोषित कर चुका एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा शहर के मध्य स्थित गोवर्धन सागर को तालाब घोषित किया जा चुका है। इस फैसले के बाद तालाब की जमीन से अतिक्रमण हटाने का रास्ता भी साफ हो चुका है। सर्वे नंबर 1281 की इस जमीन को सरकारी मानते हुए तालाब घोषित करने के बाद पूर्व कलेक्टर आशीष सिंह ने अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। तब नगर निगम ने 24 लोगों को नोटिस जारी किए थे। बताया जाता है की सागर 36 बीघा जमीन पर था जो अब काफी सिमट गया है.

एनजीटी में जो केस लगा है, उसमें स्कंद पुराण का हवाला भी दिया गया है। बताया गया है कि उज्जैन में सप्त सागर की मान्यता है। इन्हीं सप्त सागरों में एक गोवर्धन सागर भी है। बुधवारिया चौराहा के नजदीक चेरिटेबल अस्पताल के सामने स्थित गोवर्धन सागर का हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक तीन साल में आने वाले अधिक मास में भक्त सप्तसागरों की यात्रा कर पूजा अर्चना करते हैं। सप्त सागरों पर अलग-अलग वस्तुओं का दान किया जाता है। गोवर्धन सागर पर भक्त माखन मिश्री का दान करते हैं। गोवर्धन सागर के तट पर भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाए अत्यंत प्राचीन दुर्लभ मूर्ति भी है। भक्त यहां भगवान गोवर्धन नाथ की पूजा अर्चना करने आते हैं। गोवर्धन सागर के दूसरे छोर पर नगर कोट माता का मंदिर है। सागर का जल माता के मंदिर में सदैव प्रवाहित होता रहता है। सागर के पावन जल से भगवान के अभिषेक की भी मान्यता है। गोवर्धन सागर के जीर्णोंद्धार के लिए उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने 13 करोड़ की योजना भी बनाई थी।

8 करोड़ का टेंडर खुला, योजना अटकी : गोवर्धन सागर के लिए नगर निगम ने साढ़े आठ करोड़ रुपए की सौंदर्यीकरण और विकास योजना बनाई थी। इसका टेंडर भी जारी हुआ और खुल भी गया लेकिन बाद में यह अधर में पड़ गया, जिससे एनजीटी में अभी यह भी निगम बताने की स्थिति में नहीं है कि उसने सप्तसागर के लिए क्या कदम उठाए।

65 पन्नों का जारी हुआ था आदेश

सप्तसागर मामले में एनजीटी का आदेश 2022 में जारी हुआ था, जो 65 पन्नों का था।

सप्तसागरों की जांच के लिए स्पेशल टीम बनी थी, जिसने निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी।

किसी जमाने में 36 बीघा जमीन पर गोवर्धन सागर था, जो 24 बीघा भी मुश्किल से बचा है।

प्रशासन द्वारा आदेश दिया जा चुका है कि वर्ष 1899 के नक्शे- नंबरों को 1927 के अधिकार अभिलेख के आधार पर रूद्र सागर, गोवर्धन सागर, पुरुषोत्तम सागर, पुष्कर सागर और क्षीरसागर पर हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करें।

नोटिस जारी किया है

नगर निगम को 3 करोड़ की पेनल्टी का नोटिस जारी किया है। राशि जमा करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। पहले भी डेढ़ करोड़ का नोटिस दिया था।-एचके तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मंडल, उज्जैन

Share This Article