उज्जैन में 10 दिन बाद आ रहा कोरोना का पीक-डॉ.कुमरावत

उज्जैन। शहर में अभी कोरोना महामारी का पीक नहीं आया है। इस माह के अंत तक यह पीक आएगा। 10 दिन और रूक जाएं, उस समय शहर के हालात खतरनाक हो सकते हैं। इससे बचाव का एक ही तरीका है कि शहरवासी मॉस्क लगाए- शारीरिक दूरी रखें और बाजार में कम से कम निकले। यदि कोई काम नहीं है तो स्वयं को घर में बंद कर लें। लॉकडाउन एकमात्र विकल्प नहीं है। इस पर शहरवासी विचार करें। कितनों ने अपनों को खो दिया है। अब जो है, उन्हे तो बचा लें।
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यह दावा है माधवनगर अस्पताल के प्रभारी अधिकारी डॉ.संजीव कुमरावत का। अक्षरविश्व से चर्चा में उन्होने कहाकि कोरोना का पीक अभी नहीं आया है। गत वर्ष चिरायु हॉस्पिटल,भोपाल में शासन की ओर से कोरोना महामारी में मरीजों के उपचार की ट्रेनिंग ले चुके डॉ. संजीव ने कहा कि अभी तो कोरोना के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। पीक उसे कहते हैं जब यह चरम पर होगा और उसके बाद संख्या धीरे-धीरे कम होती चली जाएगी। अप्रैल अंत तक यह चरम पर होगा और मई अंत तक आंकड़ों का ग्राफ सीधे नीचे आ जाएगा। शहरवासी और हम सभी 31 मई के बाद चेन की सांस ले सकें, इसका एक ही उपाय है कि शहरवासी स्वयं को घरों में लॉक कर लें।
मायावी राक्षस सा व्यवहार कर रहा कोरोना वायरस….
डॉ. संजीव ने बताया कि प्राचीन युग में राक्षस मायावी होते थे। कभी फूल बन जाते तो कभी पशु। कभी रूपसी तो कभी साधु। यही प्रवृत्ति कोरोना वायरस की इस कलयुग में हो गई है। यह हर मरीज में अलग प्रकृति दिखाता है। एक चीज का उपचार करो तो दूसरी समस्या खड़ी हो जाती है। वे लोग जो पूर्व से गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं, हर रोज प्रकृति बदल रहे कोरोना स्ट्रेन के प्रेशर को झेल नहीं पाते हैं। इसीलिए मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है।
गत वर्ष जो स्ट्रेन था, उससे मरीज 7 से 8 दिन लड़ लेता था और इतने दिन निकालने के बाद वह स्वस्थ होकर घर लौटता था। नया स्ट्रेन संभलने का मौका नहीं दे रहा है। दूसरे ही दिन फेफड़ों में संक्रमण आ जाता है। चौथे दिन तक तो यह 40 प्रतिशत या उससे उपर चला जाता है। जब तक मरीज का उपचार प्रारंभ होकर उसे लाभ हो,बॉडी आर्गन जवाब देने लग जाते हैं। उन्होने कहाकि अब रिकव्हरी रेट घट रहा है और संक्रमण की दर बढ़ रही है। वायरस चूंकि खुली हवा में ही स्प्रेड होता है,ऐसे में इस वायरस की भी यही प्रकृति है। जरूरी है कि मॉस्क पूरे
समय लगाएं,जब घर के बाहर हों।