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उज्जैन :राजनीति का ‘ओछापन’ खराब कर रहा शहर का मन

उज्जैन में नगर निगम चुनाव का प्रचार अब जोर पकड़ चुका है। दोनों दलों के उम्मीदवार जमकर जनसंपर्क कर रहे हैं। इनकी आइटी टीम जनसंपर्क के फोटो और वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने में भी पीछे नहीं हैं।

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मगर जैसा कि ‘चाय से ज्यादा केतली’ गरम वाली कहावत है, उसी तर्ज पर प्रत्याशियों से ज्यादा उत्साहीलाल तो आइटी टीम के लोग हैं।

अब दोनों ओर की टीमें इंटरनेट मीडिया पर प्रत्याशियों पर निजी हमले करने लगी हैं। प्रत्याशियों के समर्थक समझ नहीं रहे हैं कि विकास की बात छोड़कर छीछालेदारी पर उतर आने से शहर की जनता का मन खराब हो रहा है।

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सीटों का बनने लगा गणित

निकाय चुनाव में मतदान से पहले ही आंकलन का दौर जारी है। निर्दलीय कितना खेल बिगाड़ेंगे इसको लेकर सुगबुगाहट जारी है। कई प्रत्याशी जीत को लेकर पूरी तरह से आशान्वित है। इतना ही नहीं उनकी जीत के साथ एमआईसी तक बनने का ख्याल दिमाग में पकने लगा है।

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इस ख्याली पुलाव को वो अपने समर्थकों के साथ भी साझा कर रहे हैं। पूर्व एमआईसी रहे एक नेता को नए वार्ड में टक्कर मिल रही है। समर्थक वार्ड में गुनगुना रहे हैं कि जीत मिली तो नगर सरकार की कैबिनेट में मनचाहा विभाग मिलेगा।

बारिश से कांग्रेस खुश, भाजपा परेशान

चुनाव प्रचार के दौर में मूसलाधार बारिश मुसीबत बन गई है। शहर में कई इलाके जलमग्न हो गए। इस वजह से घरों में तक पानी घुस गया। जिस वजह से जनता ने जमकर नेताओं को कोसा। अधिकांश इलाके ऐसे थे जहां पार्टी ने आरक्षण के बाद प्रत्याशी तो बदले लेकिन उनके साथ प्रचार में पूर्व पार्षदों निकल रहे हैं।

ऐसे में जल भराव के वक्त ऐसे में पार्टी के प्रत्याशी असहज हो गए है कुछ जगह तो जलभराव वाले इलाकों से प्रत्याशियों ने हालात सामान्य होने तक दूरियां बना ली ताकि उन्हें मतदाताओं के गुस्से का सामना न करना पड़े। वहीं कुछ प्रत्याशियों ने पूर्व पार्षदों से उस वक्त प्रचार के दौरान दूरिया बनाई ताकि मतदाता नाराज न हो। ऐसी स्थिति सबसे अधिक शहर के पूराने हिस्से में है।

15 साल से नगर में एक ही दल की सरकार है। ऐसे में कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है। भाजपा इससे परेशान है। बहरहाल जलभराव में कांग्रेस-भाजपा दोनों दल के प्रत्याशी एक दूसरे पर आरोप मढ़ कर मतदाताओं से समर्थन जुटाने में लगे हुए है।

भैया होते तो टिकट मिलता...कांग्रेस के एक नेता को उम्मीद थी कि उन्हें वार्ड में निश्चित रूप से चुनाव लडऩे का मौका मिलेगा। कोरोना काल में भी उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी और वार्ड में जगह-जगह सैनेटाइजर भी कराया।

लेकिन कांग्रेस नेता के भैया भाजपा के पाले में चले गए लेकिन कांग्रेस नेता इस उम्मीद से ही पार्टी में बने रहे कि उन्हें टिकट मिल जाएगा।

लेकिन ऐन-टेम पर ऐसा हुआ कि दमदमा की मेहरबानी से दूसरे वार्ड में रहने वाले नेता को वार्ड में प्रत्याशी बना दिया। इससे कांग्रेस नेता यही सोचते है कि यदि भैया रहते तो उन्हें टिकट जरूर मिलता।

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