उज्जैन : ‘736’ वोट की जीत के कारण बाल-बाल बचे ‘विवेक’

By AV NEWS

निगम में परिषद बनी पर, कमजोर नेतृत्व से प्रदर्शन उम्मीद अनुसार नहीं

निकाय नतीजों का इफेक्ट

उज्जैन। निकाय-पंचायत चुनाव में भाजपा को प्रदेशभर में शानदार सफलता मिली है। जिन स्थानों पर पार्टी का प्रदर्शन कमजोर और उम्मीद अनुसार नहीं रहा है,वहां के पदाधिकारी प्रदेश संगठन के निशान पर है।

उज्जैन में महापौर का पद 736 वोटों से भाजपा की झोली में आ गया तो नगर अध्यक्ष पार्टी की नाराजगी से बाल-बाल बच गए। उज्जैन नगर निगम में भले भाजपा का बोर्ड बनने जा रहा है,लेकिन नगर के संगठन से प्रदेश संगठन खुश नही हैं। पार्टी की एक पड़ताल में नगर संगठन कमजोरी और निष्क्रियता उजागर हुई है।

प्रदेश के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव भाजपा की प्रदर्शन अच्छा ही रहा है। इसके बाद भी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद भाजपा में मैदानी स्तर पर जिलों में बड़ा फेरबदल जल्द हो सकता है। यह वह जिले हैं, जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी जीत भले गई,पर प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा है। इसमें उज्जैन नगर इकाई भी शामिल है।

पार्टी के जानकारों का कहना है कि भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी के नेतृत्व में नगर निगम चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा।चुनाव में पार्टी के पार्षदों की संख्या उतनी ही रही,जो बीती नगर परिषद में थी। इतना ही नहीं महापौर का उम्मीदवार भी एकदम किनारे आ जीता। इस स्थिति ने विवेक जोशी को पार्टी की रड़ार पर ला दिया है। फिलहाल तो जोशी महापौर की 736 वोटों की जीत के कारण कार्रवाई से बच गए,पर 16 माह बाद प्रदेश मे विधानसभा चुनाव है और आने वाले दिनों में विवेक जोशी अपना पद बचा पाए।

इसके संभावना कम नजर आ रही है। नगर अध्यक्ष की कमजोर कार्यप्रणाली के साथ ही निष्क्रिय पदाधिकारियों का खामियाजा भाजपा ने भुगता हैं। पार्टी के कार्य, गतिविधियों, उपलब्धि और लक्ष्य को जन-जन, मतदाताओं तक पहुंचने में जिम्मेदार असफल रहे।

कमजोर कार्यप्रणाली से पार्टी का मैनेजमेंट फेल

पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व जल्द ही अपने स्तर से एक टीम भेजकर चुनाव के दौरान रही कमी का पता लगाने वाला है। इसके पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से ली गई जानकारी में सामने आया कि स्थानीय पदाधिकारियों खासकर नगर अध्यक्ष की कमजोर कार्यप्रणाली से पार्टी का मैनेजमेंट फेल हो गया। संगठन का कमजोर नेतृत्व ही था कि बूथ मैनेजमेंट का पूरा ढांचा बिखरा नजर आया। घर घर से मतदाताओं को निकालकर पोलिंग बूथ तक पहुंचाने के काम में भाजपा का संगठन फेल नजर आया।

प्रदेश संगठन ने की जिलेवार समीक्षा वोट का प्रतिशत 60 से आगे नही बढ़ पाया

प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने तय किया था कि उज्जैन में नगर निगम चुनाव में 4.61 लाख मतदाताओं में से 3.00 लाख से 3.25 लाख वोटर्स को हर हाल में मतदान केंद्र तक लाना है। इसके लिये प्रत्येक बूथ पर एक तरह संगठन का ढांचा ही खड़ा कर दिया था।

बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री, बूथ प्रभारी, मतदाता सूची के हिसाब से पन्ना प्रमुख भी बनाये थे और पन्ना प्रभारी भी। पन्ना समिति भी बनी थी। बीएलओ की तर्ज पर पीएलए भी बनाए गए थे। बूथ अध्यक्ष, पीएलए ओर पन्ना प्रमुख को त्रिदेव का नाम देकर जिम्मेदारी दी गई,लेकिन स्थानीय संगठन का कमजोर और शिथिल नेतृत्व त्रिदेव से काम कराने में असफल रहा।

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