कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में बनाए अपना कॅरियर

By AV NEWS

अब अधिकतर गतिविधियां डिजिटल हो जाने के कारण सॉफ्टवेयर डेवलपर, प्रोग्रामर्स की भूमिका भी बहुत बढ़ी है । इनका दखल रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केे क्षेत्र में भी होता है। इसलिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में भी भविष्य की संभावनाएं बहुत अच्छी देखी जा रही है। बतौर कम्प्यूटर प्रोग्रामर डिजिटल टेक्नॉलाजी के इस दौर में आपके लिए क्या है अवसर

क्या है कंप्यूटर प्रोग्रामिंग

आज हमारी अधिकतर गतिविधियां डिजिटल होती जा रही है और यही वजह है कि कंप्यूटर आधारित तकनीकों के क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं नजर आने लगी हैं। इस लिहाज से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जहां लगातार आगे बढऩे के अवसरों की कोई कमी नहीं है और जो युवा आईटी क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है। बेशक कंप्यूटर को इंसानी दिमाग से भी तेज मशीन कहा जाता है, लेकिन इसे कोई भी कार्य पूरा करने के लिए व्यक्ति द्वारा दिए गए आवश्यक निर्देशों या कमांड्स की जरूरत पड़ती है ,

कम्प्यूटर को ये सारे निर्देश कंप्यूटर प्रोग्राम से मिलते हैं।

इन प्रोग्राम्स को सॉफ्टवेयर या कंप्यूटर एप्लीकेशन भी कहा जाता है।

दरअसल, प्रोग्रामिंग सभी निर्देशों का एक ऐसा समूह है, जो कंप्यूटर को स्वचालित और सटीक ढंग से काम करने के लिए निर्देशित करता है। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, मूवी प्लेयर और ब्राउजर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के उदाहरण हैं।

इसके अलावा एप्लीकेशन डोमेन की जानकारी, विश्लेषण, एल्गोरिद्म जेनरेशन, फॉर्मल लॉजिक और एल्गोरिद्म को एक

चुनी हुई लैंग्वेज में रन करना (कोडिंग) भी प्रोग्रामिंग का ही अंग है।

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के स्तर

प्रोग्रामर दो प्रकार के होते हैं- एप्लीकेशन प्रोग्रामर और सिस्टम प्रोग्रामर :

1.एप्लीकेशन प्रोग्रामर : इसका कार्य सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन डेवलप करना तथा उन्हें अपटेड करना होता है, साथ ही क्लाइंट की जरूरत के हिसाब से प्रोग्राम को कस्टमाइज करना भी होता है। उदाहरण के लिए किसी डॉक्टर के क्लिनिक में पेशेंट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और मोबाइल फोन के लिए ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है। यह अपने प्रोग्राम को किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाने के लिए सिस्टम प्रोग्रामर की मदद भी लेते हैं।

2. सिस्टम प्रोग्रामर : ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलप करने वाले प्रोग्रामर, सिस्टम प्रोग्रामर कहलाते हैं। इनका कार्य किसी सिस्टम में रन कर रहे अलग-अलग एप्लीकेशंस के सुचारू क्रियान्वयन पर नजर बनाए रखना होता है।

कहां पड़ती है जरूरत
रोजगर के अवसरों की कोई कमी नहीं है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने के बाद एक प्रोग्रामर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, वेब डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर टेस्टिंग और मोबाइल एप डेवलपमेंट जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में नौकरियां प्राप्त कर सकते हैं। वैसे तकनीक में हो रहे निरंतर सुधारों के चलते आज कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आईटी सेक्टर के अलावा मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल क्षेत्रों के लिए भी अहम बन चुकी है। इसीलिए रोबोटिक्स तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी कंप्यूटर प्रोग्रामर्स की मांग काफी बढ़ गयी है।

प्रमुख संस्थान :

  • वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तमिलनाडु
  • इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता
  • मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर स्टडीज, मनिपाल
  • कोर्स के कई ऑनलाइन मंच भी हैं

कैसे होता है काम

जब एक डेवलपर एक बेसिक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाता है तो उसके अनुसार प्रोग्रामर, इंस्ट्रक्शन्स और कोड तैयार करता है, ताकि उस प्रोग्राम को सही ढंग से क्रियान्वित किया जा सके। एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर ऐसे सॉफ्टवेयर्स डेवलप करता है, जो पर्सनल कम्प्यूटर्स, स्मार्ट फोन्स, टैबलेट्स और ऑटोमेटेड सिस्टम पर कार्य करते हैं।

स्मार्ट फोन टेक्नोलॉजी में मोबाइल एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर-एस-ए-सर्विस पैकेज बहुत अहम होता है, जिसकी मदद से इंटरनेट कॉमर्स कार्य करते हैं। जब एक बार प्रोग्राम रन करने के लिए तैयार हो जाता है, तो प्रोग्रामर बग्स की टेस्टिंग, अशुद्धि हटाने तथा लेटेस्ट अपडेट्स इन्स्टॉल करने पर भी कार्य करता है। इसके अलावा प्रोग्रामर, कम्प्यूटर प्रोग्रामर के एक अन्य हिस्से- यूजर इंटरफेस को भी डिजाइन करता है, जिसका इस्तेमाल यूजर द्वारा किया जाता है।

कई चुनौतियां

एक प्रोग्रामर को हमेशा अपने फील्ड के अपडेट्स पर नजर बनाए रखनी पड़ती है, साथ ही उसे प्रोग्रामिंग की नई लैंग्वेज और स्किल्स पर भी काम करते रहना पड़ता है। ऐसा भी होता है कि किसी सिस्टम को अपडेट करने या डीबग करने में काफी समय लग जाता है। यहां बहुत धैर्य, संयम और एकाग्रता की जरूरत होती है, क्योंकि अकसर घंटों तक स्क्रीन पर नजर गड़ाकर कार्य करना पड़ता है।

कैसे होती है परीक्षा

हर साल विभिन्न कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों द्वारा प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जो राजकीय और विश्वविद्यालय स्तर पर संबंधित अधिकारियों द्वारा आयोजित की जाती हैं। बी.टेक कोर्स में दाखिला जे. ई. ई. मेन परीक्षा के माध्यम से होता है। यह एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जिसका आयोजन सीबीएसई बोर्ड करता है। एम. टेक कोर्स में प्रवेश लेने के लिए गेट परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य होता है। इसके अलावा ग्रेजुएट और इंटीग्रेटेड में बैचलर ऑफ कंप्यूटर साइंस, डिप्लोमा कोर्सेस और शॉर्ट टर्म के ऑनलाइन कोर्सेस भी हैं।

शानदार पैकेज

कंप्यूटर प्रोग्रामर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, किसी संस्थान में आईटी टीम लीडर के तौर पर पद प्राप्त कर सकते हैं। किसी प्रतिष्ठित कॉलेज से कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग का कोर्स पूरा करने पर एक फ्रेशर का शुरुआती वेतन 50 से 60 हजार प्रतिमाह के बीच हो सकता है, वहीं एक औसत कॉलेज से उत्तीर्ण विद्यार्थी को शुरुआत में 30 से 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक मिल सकते हैं। वैसे, इस क्षेत्र में अनुभव के साथ कमाई में भी अच्छी बढ़ोतरी होती रहती है। यदि शैक्षणिक और पेशेवर पोर्टफोलियो प्रभावशाली हो, तो कमाई के अवसर।

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