कब है ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि

सनातन धर्म में पूर्णिमा का बहुत ही अत्यधिक महत्व होता है। पूर्णिमा के पावन पर्व पर भगवान विष्णु नारायण और माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजन किया जाता है। ऐसा करने से उपासक की संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। इसके साथ ही सुख, शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के शुभ अवसर पर स्नान, दान का भी बहुत अत्यधिक महत्व है। पूर्णिमा पर दान करने पर जातक को कई गुना फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि-

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शुभ तिथि एवं मुहूर्त-

22 जून, दिन शनिवार ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 21 जून दिन शुक्रवार को प्रातः काल 7:31 से प्रारंभ होगा और इसके अगले दिन यानी 22 जून दिन शनिवार प्रात काल 6:37 पर इसकी समाप्ति होगी। उदया तिथि के मुताबिक ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा मुख्य रूप से 22 जून को मनाई जाएगी।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान दान का समय-

22 जून को पूरे दिन भर स्नान दान किया जा सकता है।

 पूजा विधि – 

पूर्णिमा के पावन पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें। इस शुभ अवसर पर पवित्र नदियों या जलाशय में स्नान का बहुत अत्यधिक महत्व है। अगर आप अपने घर पर स्नान कर रहे हैं तो स्नान करने वाले जल में गंगाजल मिश्रित करके स्नान करें। इसके साथ ही स्नान के समय सभी पवित्र नदियों का श्रद्धा पूर्वक ध्यान करें।

अगर संभव है तो पूर्णिमा के पावन पर्व पर व्रत भी रख सकते हैं।

स्नान करने के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

संपूर्ण देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें।

पूर्णिमा के पावन पर्व पर भगवान श्री हरि विष्णु नारायण की विधिवत पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष विधि विधान से पूजा अर्चना करें।

इसके पश्चात भगवान विष्णु को मिष्ठान, फल इत्यादि का भोग लगाएँ। इसके साथ ही तुलसीदल शामिल करना बिल्कुल न भूलें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्री हरि बिना तुलसी के भोग स्वीकृत नहीं करते। भगवान विष्णु नारायण को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है इस बात का बिल्कुल ध्यान रखें।

अब भगवान विष्णु नारायण और माँ लक्ष्मी की सच्ची श्रद्धा के साथ मंत्र उच्चारण करते हुए आरती करें।

पूर्णिमा के पावन पर्व पर ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।

पूर्णिमा के शुभ अवसर पर चंद्रमा पूजन का भी बहुत अधिक महत्व होता है।

चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।

चंद्रमा को अर्घ्य देने से कष्ट एवं दोष से मुक्ति मिलती है।

इस दिन गरीबों या जरूरतमंदों को दान दक्षिणा अवश्य दें। अगर आपके घर में या आसपास में गाय हैं तो उसे भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से रोग दोष कष्ट समेत संपूर्ण परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही गौ माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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