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चार दिन बाद अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज

मामला: दूसरे के नाम वोट देने पहुंची महिला का

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अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:उज्जैन विधानसभा चुनाव में १७ नवंबर को मतदान के दौरान उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र में एक महिला किसी अन्य महिला के नाम से वोटिंग के लिए पहुंची थी। बूथ पर मौजूद कांग्रेस के अभिकर्ता ने पहचान कर महिला के वोटिंग करने पर आपत्ति ली। इसके बाद महिला को वोट नहीं डालने दिया था। वोट देने पहुंची महिला को पुलिस के हवाले कर दिया था। घटना के चार दिन बाद (सोमवार) को पीठासीन अधिकारी की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ भादंवि की धारा १८८ के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

कोतवाली पुलिस के अनुसार मंसूर अली अंसारी पिता मुनव्वर अली निवासी मिर्जागालिब पथ बडऩगर निवासी के आवेदन पर प्रकरण कायम किया है। मंजूर अली के अनुसार शासकीय माध्यमिक विद्यालय फाजलपुरा में १७ नवंबर को शाम ०५.४५ बजे कोई अज्ञात महिला ने ईशा पिता महेश झालानी के नाम की मतदाता पर्ची लेकर मतदान करने आकर शासन के आदेश का उल्लंघन किया। पुलिस ने १८८ भादंवि के तहत प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि चूंकि पीठासीन अधिकारी महिला को नहीं जानते हैं। ऐसी स्थिति में घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया गया है।

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बूथ अभिकर्ता ने रोका था मतदान करने से

बता दें कि उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र के लिए चल रहे मतदान के दौरान शाम करीब 4.30 बजे विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 19 के पोलिंग बूथ क्रमांक 165 पर मौजूद कांग्रेस उम्मीदवार माया त्रिवेदी के बूथ अभिकर्ता जितेंद्र परमार की आपत्ति के बाद वोटिंग करने पहुंची महिला लीना जैन को वोट देने से रोका गया था। महिला ईशा झालानी के नाम की पर्ची लेकर वोट देने पहुंची थी। पीठासीन अधिकारी द्वारा नाम का सत्यापन करने के बाद महिला ने वोट रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी कर दिए। उसकी अंगुली पर स्याही भी लगा दी गई थी।

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महिला वोटिंग के लिए ईवीएम पोस्टल यूनिट की तरफ बढ़ी थी। तभी अभिकर्ता जितेंद्र परमार ने पीठासीन अधिकारी के समक्ष आपत्ति लेकर कहा कि महिला का पहचान-पत्र देखा जाए। महिला के पास पहचान पत्र नहीं होने पर दूसरे के नाम से वोट देने प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई। इस बात को लेकर बूथ पर जमकर हंगामा हुआ। विवाद बढ़ता देख पुलिस ने हस्तेक्षप किया। इस दौरान महिला ने स्वीकार किया कि वह ईशा झालानी के नाम वोट देने पहुंची थी। इसके लिए मनीष पीपाड़ा ने वोट पर्ची दी। हंगामा होने पर वह भी वहां से भाग गया था। महिला को पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

पीठासीन अधिकारी की कार्यप्रणाली शंकास्पद

महिला को फर्जी वोट देने से रोकने वाले बूथ अभिकर्ता परमार ने बताया कि उन्होंने पीठासीन अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा था। पीठासीन अधिकारी ने यदि कार्रवाई नहीं की या पुलिस में आवेदन नहीं दिया था। इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से की गई। मामले में वीडियो फुटेज के साथ अन्य दस्तावेज होने के बाद भी चार दिन बाद अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने पर पीठासीन अधिकारी की भूमिका शंकास्पद है।

पीठासीन अधिकारी ने उस नहीं दिया था आवेदन

अभिकर्ता परमार ने बताया कि फर्जी मतदान पर उनके द्वारा पीठासीन अधिकारी के सामने आपत्ति ली गई थी। फर्जी मतदान का मामला सामाने आने के बाद अभिकर्ता या उम्मीदवार सीधे थाने में प्रकरण दर्ज नहीं करा सकते है। नियमानुसार आपत्ति के बाद पीठासीन अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह प्रकरण दर्ज कराने की प्रक्रिया पूर्ण कर पुलिस में लिखित शिकायत करें। पीठासीन अधिकारी ने उस दिन महिला द्वारा फर्जी नाम से वोट डालने आने के मामले में कोई शिकायत नहीं की। इधर थाना कोतवाली के अनुसार उक्त मामले में पीठासीन अधिकारी की कोई भी शिकायत नहीं मिलने के कारण प्रकरण दर्ज नहीं किया गया था। पीठासीन अधिकारी मंसूर अली अंसारी पिता मुनव्वर अली की शिकायत मिलने के बाद २० नवंबर को रात ०९.५१ बजे प्रकरण दर्ज किया गया है।

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