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जिला अस्पताल में सिर्फ दांत निकाले जाते हैं…

फिलिंग और जरूरी सामान के लिये बजट में डिमांड…

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उज्जैन। जिला अस्पताल में दांतों के डॉक्टरों की पोस्ट के मुकाबले मात्र दो डॉक्टर पदस्थ हैं जिनमें से एक डॉक्टर ने पिछले माह ही विभाग में ज्वाइनिंग किया है। खास बात यह कि दंत रोग विभाग में सिर्फ दांत निकालने का काम होता है बाकी परेशानियों का कोई उपचार नहीं होता।

लाखों रुपये कीमत की चेयर और अन्य उपकरणों के अलावा जिला अस्पताल में दांतों के दो डॉक्टर पदस्थ हैं, जबकि कुल स्वीकृत पद 8 हैं। ये दो डॉक्टर भी मरीजों के दांत निकालने का काम करते हैं जबकि इससे जुड़ी अन्य समस्याओं का कोई उपचार यहां नहीं होता।

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डॉक्टर बताते हैं कि दांतों के बीच गेप आने पर फिलिंग की जाती है, केपिंग भी की जाती है और नकली दांत भी लगाये जाते हैं लेकिन जिला अस्पताल के दंत रोग विभाग में इन सब कामों के लिये संसाधन ही उपलब्ध नहीं हैं ऐसे में मरीज के दांत निकालने के अलावा कोई कार्य नहीं किया जा सकता। डॉक्टरों ने बताया कि केपिंग के लिये माप लेने के साथ ही केप बनाने के लिये लैब होती है, जिसकी सुविधा यहां नहीं है। चूंकि अब दो डॉक्टर पदस्थ हैं तो फिलिंग मटेरियल के लिये वार्षिक बजट में डिमांड कर भोपाल भेजा गया है।

कई सालों से नहीं आया सामान
पूर्व में दांत रोग विभाग में डॉ. शर्मा पदस्थ थे जो रिटायर्ड हो चुके हैं। वर्तमान में पदस्थ डॉक्टरों ने बताया कि वर्षों से दांत रोग विभाग में दांतों के उपचार हेतु जरूरी मटेरियल नहीं आया है। शासन स्तर पर ही डिमांड पूरी नहीं होने के कारण मरीजों का उपचार नहीं कर पा रही जबकि दांतों के उपचार के लिये अस्पताल में प्रतिदिन 10 से 15 मरीज आते हैं।

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