टीबी अस्पताल डीवीडी के समीप एक वार्ड में सिमट कर रह गया

By AV NEWS

उल्टी, दस्त और इन्फेक्शन के मरीजों के लिए भी खतरा…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन जिला अस्पताल के डीवीडी वार्ड में जिले का टीबी अस्पताल सिमट कर रह गया है। जबसे टीबी अस्पताल का भवन टूटा है टीबी के मरीज डीवीडी वार्ड में भर्ती किए जा रहे हैं। डीवीडी वार्ड दो हिस्सों में बंटा है। जो कि मेल वार्ड और फिमेल वार्ड है। यहां उल्टी, दस्त, इन्फेक्शन के मरीजों को भर्ती करना होता है लेकिन एक वार्ड को टीबी वार्ड बनाकर लावारिस मरीज और टीबी मरीजों सहित डीवीडी के मरीजों को एक साथ रखा जा रहा है। डीवीडी के सामान्य मरीजों के लिए यह खतरनाक हो सकता है और लावारिस मरीज यदि टीबी से संक्रमित होकर पब्लिक प्लेस में जाते हैं तो ये और भी खतरनाक हो सकता है।

जिले में अब भी टीबी के 2200 एक्टिव मरीज हैं और हर महीने 30-40 नए मरीज टीबी पॉजिटिव पाए जाते हैं। यह आंकड़े केंद्र सरकार के टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए बहुत बड़ा रोड़ा है। यदि टीबी के नए मरीज और बीमारी पर नियंत्रण नहीं हुआ तो साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना संभव नहीं होगा। जिले का स्वास्थ्य विभाग जिस तरह टीबी की बीमारी और इसके रोकथाम के लिए कार्य कर रहा है टीबी के बढ़ते संक्रमण को खत्म करना मुश्किल है।

टीबी संक्रामक बीमारी इसलिए अलग था अस्पताल

चरक भवन के बनने से पूर्व इस स्थान पर जिले टीबी अस्पताल था। टीबी संक्रामक रोग होने की वजह से टीबी के मरीजों के लिए एक अलग यूनिट स्थापित थी। इस बिल्डिंग के टूटने के बाद से टीबी अस्पताल जिला अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग में डीवीडी के समीप वार्ड में संचालित हो रहा है।

इस वार्ड में उल्टी, दस्त, इन्फेक्शन और लावारिस 50 से 60 मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं क्योंकि प्रतिदिन दिन 15 से 20 मरीज इन बीमारियों से ग्रसित होकर जिला अस्पताल में उपचार के लिए आते हैं। इनमें से8-10 मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।ये मरीज टीबी के मरीजों के संपर्क में आकर टीबी रोग से ग्रस्त हो सकते हैं। जबकि दोनों वार्डों में बेड की संख्या 40 है।

टीबी यूनिट जिला अस्पताल में बोहरा वार्ड के समीप बनाया जाएगा तब तक अस्थायी व्यवस्था की गई है। हालांकि इस यूनिट पर मरीजों को भर्ती की व्यवस्था नहीं होगी केवल स्क्रीनिंग और कागजी कार्रवाई की जाएगी। कुछ साल पहले तक टीबी मरीजों की संख्या और संक्रमण बढऩे की दर बहुत ज्यादा थी। अब इस पर नियंत्रण हो रहा है इसके अलावा उपचार की व्यवस्था भी घर पर की गई है।
पीएन वर्मा
सिविल सर्जन

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