देवासगेट बसस्टैंड के रैन बसेरे की छत का प्लास्टर गिरा

By AV NEWS

हादसा: 17 लोग सो रहे थे रेनबसेरे के हाल में, घटना के बाद मचा हड़कंप

रात 12:30 बजे देवासगेट बसस्टैंड के रैन बसेरे की छत का प्लास्टर गिरा, दो मुसाफिर घायल

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम द्वारा देवासगेट बसस्टैंड पर निर्मित रैन बसेरे में रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 12:30 बजे छत का प्लास्टर गिर गया। बसेरे में 17 लोग थे,जिसमें से 2 दो लोग घायल हो गए। उपचार के लिए दोनों को जिला चिकित्सालय भर्ती है। बाहर से आने वाले यात्रियों को रात्रि विश्राम की सुविधा देने के लिए नगर निगम द्वारा शहर में 6 स्थानों पर रैन बसेरों का संचालन किया जाता है।

इनमें से एक देवासगेट बसस्टैंड पर है। बीती रात इस रैन बसेरे में 17 यात्री थे। बीती रात करीब 12:30 बजे जब सभी यात्री सो रहे थे,तभी छत के प्लास्टर का एक बड़ा हिस्सा भरभरा कर बसेरे में सो रहे मुसाफिरों पर गिर गया। इसमें 64 वर्षीय झालावाड़ राजस्थान निवासी मांगीलाल पिता रामलाल और सागर निवासी 25 साल का अंकुर पिता तुलसीराम घायल हो गया।

दोनों ही रविवार की शाम महाकाल दर्शन के बाद विश्राम के लिए रेन बसेरे में ठहरे थे। हादसे के बाद रैन बसेरे में हड़कंप मच गया,अन्य यात्री बदहवास होकर बसेरे से भागे। दोनों घायलों को जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया है। इसमें मांगीलाल ज्यादा चोट लगी है।

6 स्थानों पर रैन बसेरे:बाहर से आने वाले लोग आराम से रात बिता सकें इसके लिए नगर निगम ने शहर में छह स्थानों पर रैन बसेरे बनाए। उनके सोने के लिए पलंग, बिस्तर, नहाने के लिए बाथरूम, टॉयलेट भी बनाए थे,लेकिन इनके संचसलन-संधारण पर ध्यान नहीं देने के कारण अधिकांश स्थिति ठीक नहीं है।

नगर निगम द्वारा जोन कार्यालय 3 के पीछे,विजयाराजे सरकारी स्कूल के सामने और वाल्मीकि बस्ती के पास,मंडी गेट के सामने फाजलपुरा,पुराने शिशु वार्ड के पीछे नानाखेड़ा बस स्टैंड,देवासगेट बस स्टैंड पर रैन बसेरे बनाए हैं।

शुक्र है करंट नहीं फेला:रेन बसेरे में मुसाफिरों की सुविधा के लिए लाइट और पंखे भी लगे हुए हैं। यह चालू स्थिति में है। छत के प्लास्टर के साथ बिजली के तारों की फिटिंग भी पलंग पर आकर गिर गई। शुक्र है कि करंट नहीं फैला वरना बड़ा हादसा हो सकता था।

कागजों में संवर बस स्टैंड, जिम्मेदार बेफिक्र:

देवासगेट बस स्टैंड को लेकर रोडवेज के बंद होने के बाद से इसके उद्धार के लिए 20 साल से कागजों में तो कई प्लानिंग बनीं, लेकिन धरातल पर कोई नहीं उतर सकीं। साल 2004 के दरमियान स्टैंड व आसपास के क्षेत्र को पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप में संवारने को मंजूरी मिली थी, लेकिन जिम्मेदारों की अरुचि में यह योजना फाइलों में ही रह गई। इसे अत्याधुनिक स्वरूप देने की कागजी कवायद जारी है।

दो दशक से मुसाफिर बस अड्डे की जरूरी सुविधाओं से वंचित हैं, लेकिन आला जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कुछ नहीं किया। राजनीतिक कारणों व अधिकारियों की इच्छा शक्ति में कमी होने से कोई भी प्लानिंग आगे नहीं बढ़ी। नगर निगम ने भी यदाकादा ही इसके संधारण की सुध ली। भवन जर्जर है,लेकिन रंगरोगन कर इस चमका दिया जाता दिया जाता है। भवन का निगम द्वारा सही तरीके से संधारण नहीं करने का नतीजा है कि रैन बसेरे की छत का प्लास्टर गिर गया।

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