कहते हैं, इंसान की लाइफ में सच्चा दोस्त उसका सबसे बड़ा सहारा होता है, जो आपको सही-गलत का फर्क बताने के साथ ही हर कदम पर आपका साथ देता है। वैसे इस मतलबी दुनिया में एक अच्छे और ईमानदार की पहचान करनी भी आनी चाहिए। नहीं, तो जिंदगी आबाद होने की वजह बर्बाद हो सकती है। आपकी राह कितनी गलत हो जाएंगी आप खुद नहीं समझ पाओगे।
जरूरी नहीं कि दोस्ती घर के बाहर ही होती है कभी-कभी भाई-बहन माता-पिता भी इस खूबसूरत रिश्ते की झलक देखने को मिल जाती है, लेकिन आपको फ्रेंडशिप को समझना होगा कि कौन आपका दोस्त है और कौन नहीं। इसलिए आपको इस रिश्ते की खूबियां बता रहे हैं ताकि आप समझ करें कि आपकी फिक्र करने वाला और आपको समझने वाला कौन आपका दोस्त है।
घर में भी बनता दोस्ती का रिश्ता
मां के बाद अनकंडीशनल रिश्ता दोस्त से बनता है। जिस पर आप 100 प्रतिशत भरोसा कर पाते हो, बिना किसी झिझक के अपनी फीलिंग को शेयर कर पोते हो क्योंकि आपको पता होता है कि वो आपको जज नहीं करेगा। यही बॉडिंग जब भाई-बहन में होती है वहां भी ऐसा ही रिश्ता बनता है। एक इंसान की लाइफ इस तरह एक दो व्यक्ति जरूर होना चाहिए, तभी वह जिंदगी को अच्छे से जी सकता है।
झिझक नहीं, एक-दूसरे की जीत में जश्न
वैसे अगर आप एक सच्चे दोस्त की पहचान करना चाहते हैं तो आपको एक इंसान में ये क्वालिटी देखनी होगी की वो आपसे किसी भी बात को शेयर करने में झिझके नहीं। और, जब आप उससे कुछ शेयर को तो आपको जज ना करे बल्कि आपको समझे। एक-दूसरे की जीत का जश्न मनाना मानते हों एक दूसरे से जलन नहीं होती हो।
रिश्ता मतलब और लेने-देन का ना हो
आज की इस मतलबी दुनिया में ज्यादातर रिश्ते मतलब के लिए ही बनाएं जाते है। लेकिन दोस्ती का रिश्ता बिना किसी कंडीशन के होता है जहां एक इंसान को दूसरे से किसी भी चीज का लालच नहीं होता है। वो सिर्फ एक-दूसरे का मुसीबत में साथ देना जानते हैं और खुशी होने पर साथ में वक्त बिताकर लाइफ को एंजॉय करते हैं।
आपके लिए जमाने से भी लड़ जाए
एक सच्चे दोस्त पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं अगर आपकी दोस्ती सच्ची होगी तो वो आपके लिए पूरे जमाने से लड़ सकता है। कुछ रिश्ते दुनिया के सामने कमजोर पड़ जाते हैं, उनमें बहुत जल्दी दूरी आने लग जाती हैं। लेकिन रिश्ते की ताकत भरोसा होता है जिसकी पहचान मुसीबत आने पर ही होती है।
पीठ-पीछे भी आपकी तारीफ करे
कहा जाता है असली तारीफ वही है तो सामने नहीं बल्कि पीठ-पीछे की जाए। एक सच्चा दोस्त सिर्फ आपके मुंह पर आपकी तारीफ नहीं करता बल्कि आपकी गैर मौजूदगी में भी आपके अच्छे कामों की सराहना करता है। जिस रिश्तों में सच्चाई नहीं होती उनमें अक्सर देखने को मिलता है दोस्त के जाते ही सुर बदल जाते हैं।