नवरात्रि में होता है कन्या पूजन का विशेष महत्व

नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं. कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं सम्पन्नता आती है. कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता है. इस बीच यदि कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है.

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नवरात्रि कन्या पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, इंद्रदेव देवी मां को प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि, देवी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। ब्रहाा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें भोजन करवाया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर माता प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि, तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है जिन्हें माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, इसके साथ ही एक बटुक भी कन्याओं के साथ होना चाहिए जो भैरव का रूप माना जाता है। जो भी भक्त विधि-विधान से माता की पूजा आराधना करते हैं और कुमारी कन्याओं का पूजन करते हैं उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन करने से माता की कृपा आप पर बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है। ऐसा करना आपके धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान को भी बढ़ाता है। आइए अब जानते हैं कि कन्या पूजन के दौरान किन बातों का आपको ख्याल रखना चाहिए।

इस तरह करें पूजन

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करना चाहिए. इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं. इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए. इससे भक्त के पापों का नाश होता है. इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. इससे भक्त की तरक्की होती है. पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए. अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए और कलावा बांधना चाहिए. कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्य का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसे.

वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है. लेकिन अगर आपका सामाथ्र्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं. भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सामथ्र्य अनुसार दक्षिणा अवश्य दें. क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है. यदि आप चाहते हैं तो कन्याओं को अन्य कोई भेंट भी दे सकते हैं. अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई कोई भूल की क्षमा मांगें. ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं.

2 से 10 साल की कन्या का महत्व

शास्त्रों में कन्या पूजन को लेकर विशेष महत्व बताया गया है. 2 से 10 साल की कन्याओं का अपनी आयु अनुसार अलग-अलग महत्व बताया गया है. . जानिए शास्त्रों में कन्या की आयु अनुसार क्या बताया गया है.

1. 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. नवरात्रि में 2 वर्ष की कन्या की पूजन करने और उसे भोजन करने से दुख दरिद्रता खत्म होती है. साथ ही हमें सुख शांति की प्राप्ति होती है.

2. 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है. नवरात्रि के दौरान 3 वर्ष की कन्या की पूजन करना और उसे भोजन कराने से धन-धान्य का आगमन होता है. साथ ही परिवार का कल्याण होता है.

3. 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है. 4 वर्ष की कन्या का नवरात्रि में पूजन करने और भोजन करने से शुभ समृद्धि की प्राप्ति होती है.

4. 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है. 5 वर्ष की कन्या को नवरात्रि में भोजन कराना और पूजन करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है.

5. 6 वर्ष की कन्या को कालिका कहा जाता है. 6 वर्ष की कन्या को नवरात्रि के दौरान पूजन करना और उसे भोजन कराने से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है.

6. 7 वर्ष की कन्या को चंडिका कहा जाता है. 7 वर्ष की कन्या का नवरात्रि में पूजन करना और उसे भोजन कराने से ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है.

7. 8 वर्ष की कन्या को शांभवी कहा जाता है. नवरात्रि के समय 8 वर्ष की कन्या को भोजन कराने तथा पूजन करने से हमें लोकप्रियता की प्राप्ति होती है.

8. 9 वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है. नवरात्रि के दौरान 9 वर्ष की कन्या का पूजन करने से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं.

9. 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है. नवरात्रि के समय 10 वर्ष की कन्या का पूजन करना और उसे भोजन कराने से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है.

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