निगम मुख्यालय में दफ्तरों पर तालाबंदी को लेकर विचित्र स्थिति….

By AV NEWS

एक पक्ष : महापौर और एमआईसी सदस्यों के दफ्तरों से नेमप्लेट हटाई, चपरासी हटाए…

दूसरा पक्ष : निगम आयुक्त बोले कोई आ नहीं रहा इसलिए लगाए ताले…

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:नगर निगम मुख्यालय में महापौर और एमआईसी सदस्यों के दफ्तरों पर ताले लगाने और नेमप्लेट व चपरासी हटा देने से जहां एमआईसी सदस्यों में आक्रोश है, वहीं निगम प्रशासन ने साफ किया है कि तालाबंदी की नहीं गई है, कोई आ नहीं रहा इसलिए ताले लगाए। दूसरी ओर एमआईसी सदस्यों का कहना है कि ताले लगे हैं तो जाएं कैसे और जरूरी काम कैसे करें।

इस विचित्र स्थिति के बीच प्रदेश के सभी महापौर ने भी चुनाव आयोग को आपत्ति दर्ज कराई। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद से निगम प्रशासन ने महापौर सहित सभी एमआईसी सदस्यों के चैंबरों पर ताले लगवा दिए और नेमप्लेट भी हटवा दी।

यहां तक कि उनके दफ्तरों पर तैनात चपरासी भी हटा दिए। इसको लेकर सभी सदस्यों में बेहद नाराजी है। सभी का कहना है कि अचार संहिता के दौरान आम लोगों से जुड़े काम बंद करना अनुचित है। अगर दफ्तर में कोई पार्टी से संबंधित काम करे और रोक लगाई जाए तो बात समझ में आती है, लेकिन शासकीय काम करने पर रोक अनुचित है। मामले में निगम आयुक्त ने अक्षरविश्व से चर्चा में स्पष्ट किया है कि दफ्तरों पर ताले इसलिए लगाए हैं, क्योंकि कोई आ नहीं रहा। दफ्तर में जाने और काम करने पर कोई रोक नहीं है।

महापौर को आयोग का खटखटाना पड़ा दरवाजा

दफ्तरों पर तालेबंदी को लेकर विचित्र स्थिति इसलिए भी मानी जा रही क्योंकि गुरुवार शाम को प्रदेश के सभी महापौर ने चुनाव आयोग को इस स्थिति से अवगत कराया और कहा है कि शासकीय काम करने पर लगी रोक हटाई जाए। महापौर मुकेश टटवाल ने बताया आयोग ने साफ किया है कि जरूरी शासकीय काम किया जा सकता है। इस कारण शुक्रवार से महापौर के चेंबर पर लगे ताले खोले जा सकते हैं।

आचार संहिता के बाद ताले क्यों?

एमआईसी सदस्यों ने निगम प्रशासन के इस जवाब पर कि ताले इसलिए लगाए हैं कि कोई आ नहीं रहा, पर सवाल खड़ा किया है कि अचार संहिता के बाद ताले क्यों लगे, पहले तो नहीं थे। ताले बंद रहेंगे तो सदस्य जाएंगे कैसे? निगम प्रशासन ने अचार संहिता के बाद ताले लगाने के बाद यह स्थिति भी साफ नहीं की कि सदस्य अपने काम कर सकते हैं।

राजनीतिक गतिविधियों पर रोक

अचार संहिता के बाद चैंबर्स में ताले इसलिए लगे हैं क्योंकि सदस्य ही दफ्तर नहीं आ रहे। काम करने और बैठने पर रोक नहीं है लेकिन राजनीतिक प्रचार या चुनाव संबंधी काम नहीं किए जा सकते। रोशनकुमार सिंह ,आयुक्त नगर निगम

आचार संहिता के बाद ताले क्यों लगवाए

आचार संहिता के बाद नेमप्लेट हटा दी गई, चपरासी हटा दिए गए और चैंबर पर ताले ही लगा दिए। दरवाजा ही नहीं खुले तो जाएं कैसे? हमें किसी प्रकार की सूचना भी नहीं दी गई।-शिवेंद्र तिवारी, लोकनिर्माण और उद्यान समिति प्रभारी

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