नेताजी’ धरातल से ज्यादा सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में ‘ताल ठोंकते’ दिख रहे….

By AV NEWS

इंटरनेट पर नई तरह की नेता नगरी, प्रचार क

‘नेताजी’ धरातल से ज्यादा सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में ‘ताल ठोंकते’ दिख रहे….

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:जिस दौर में हर मतदाता के हाथ में स्मार्टफोन हो, उस दौर में चुनाव का प्रचार भी स्मार्ट तरीके से हो तो कोई आश्चर्य नहीं। इन दिनों ऐसा ही हो भी रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद से इंटरनेट मीडिया पर इन प्रत्याशियों के प्रचार की धूम है। यहां तक कि कुछ प्रत्याशी तो ऐसे भी हैं, जो वास्तविक जमीन से ज्यादा इंटरनेट मीडिया की आभासी दुनिया में ताल ठोंकते दिख रहे हैं।

नेता अपने प्रचार के लिए योजनाओं और मुद्दों को गानों के माध्यम से जनता के बीच लेकर आ रहे हैं। अपनी सुबह से लेकर रात तक की हर मिनट की गतिविधियां इस पर साझा की जा रही है। इतना ही नहीं सालों पहले कोई अच्छा काम किया हो, उसके वीडियो फोटो भी इंटरनेट मीडिया पर दिखाई देने लगे हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए प्रत्येक प्रत्याशी ने अलग से टीम बना रखी है। कुछ ने पीआर एजेंसी की सेवाएं भी ली हैं। ये एजेंसी इनके लिए प्रतिदिन अच्छे संदेश के साथ फोटो-वीडियो पोस्ट कर रही है। इस बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की मदद से भी कई प्रकार के वीडियो संदेश देखने को मिल रहे हैं। इस तरह के वीडियो प्रत्याशियों के ऑफिशियल अकाउंट पर तो नहीं, लेकिन फैंस क्लब या फैंस पेज पर जरूर नजर आते हंै।

टीम काम कर रही है

इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रचार की मंशा रखने वाले उम्मीदवार के लिए बड़े शहरों की पीआर एजेंसी की टीम काम कर रही है। टीम के लोग फोटो खींचने के साथ ही रील्स के लिए वीडियो, फोटो कैप्शन और पोस्ट करने तक का काम करते हैं। टीम द्वारा एक ही दिन में करीब दर्जन तक पोस्ट की जा सकती हैं।

गाने भी ऐसे लिखे और रिकॉर्ड किए जा रहे हैं, जिन्हें सुनकर जनता प्रभावित हो। रील्स और पोस्ट में फिल्मी गानों, देशभक्ति के गीतों, कव्वाली और लोकगीतों तक का प्रयोग किया जा रहा है। यह टीमें प्रत्याशी की दिनभर की तमाम गतिविधियों को इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स अकाउंट पर साझा करती हैं।

आसान प्रचार, कम परिश्रम

कुछ नेता तो ऐसे हैं, जिनका प्रचार जमीन से ज्यादा इंटरनेट मीडिया पर ही नजर आ रहा है। इंटरनेट मीडिया पर प्रचार आसान और कम परिश्रम वाला है। साथ ही इससे युवाओं तक सीधे पहुंच बनती हैं। चूंकि हर हाथ में मोबाइल है, इसलिए यह प्रचार का बड़ा साधन बन चुका है। इसके माध्यम से मतदाताओं तक आसानी से प्रत्याशी पहुंच सकते हैं। यही वजह है कि प्रचार में सोशल मीडिया के उपयोग पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

राजनीति में कॉर्पोरेट कल्चर

इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रोफेशनल्स इलेक्शन मैनेजमेंट और सर्वे के साथ ही प्रत्याशियों के कैंपेनिंग प्लान, थीम सॉन्ग और जीत का गणित बना रहे युवा प्रोफेशनल के लिए चुनावी राजनीति एक बड़ा जॉब सेक्टर बन गया है। कई कार्पोरेट कंपनियां पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट का काम कर रही हैं, जिसमें युवा प्रोफेशनल बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं। यह प्रोफेशनल पार्टियों की चुनावी कैंपेन और नेताओं की इमेज बिल्डिंग और सोशल मीडिया पर ब्रांडिंग के काम कर रहे हैं।

इस तरह करते हैं प्लानिंग…

पिछले तीन-चार चुनावों में उम्मीदवारों को मिले वोटों के आधार पर स्टडी करके प्लानिंग की।

शहर, कस्बे और गांव में अलग-अलग प्रचार के लिए बिंदुवार रणनीति बनाकर दी।

स्थानीय स्तर पर पार्टी के प्रचार के लिए थीम सॉन्ग तैयार किए।

सर्वे करके बताया, पार्टी और उम्मीदवार को किस रणनीति पर काम करना है।

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