पति-पत्नी और वो (मोबाइल): सितंबर में 11 दंपत्ति तलाक के लिए कोर्ट पहुंचे

By AV NEWS

दांपत्य संबंधों को संभालने की जरूरत..

रिश्तों में दरार का सबसे बड़ा कारण बन गया मोबाइल

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:दांपत्य जीवन को संभालना ना केवल पति-पत्नी के लिए जरूरी है अपितु परिवार, सभ्य समाज और कानून की भी जिम्मेदारी है। क्योंकि पति-पत्नी की कलह उनके बच्चों का भविष्य खराब कर देती है। वर्तमान दौर में पति-पत्नी के बीच कलह होने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन बन गया है।

फेसबुक पर कमेंट्स, इंस्टाग्राम पर फालोअर्स और मोबाइल फोन पर ज्यादा समय तक बात करना पार्टनर को रास नहीं आ रहा। इन छोटी-छोटी बातों से शुरू विवाद परिवारों को खत्म कर रहे हैं। गत सितंबर माह में दंपित्त तलाक के लिए पहुंचे थे।

हालांकि सरकार, कानून और समाज में बिगड़ते रिश्तों को संभालने के लिए प्रयास कर रहा है। बावजूद इसके खटास बढ़ रही है। परिवार परामर्श केंद्र पर प्रतिदिन तीन-चार परिवार पति-पत्नी के विवाद को लेकर आते हैं। उनमें एक-दूसरे के प्रति इतना क्रोध होता है कि जीवनभर का साथ निभाने की कसम खाने वाले पति-पत्नी दो कदम साथ नहीं चल सकते। पहले की बजाय अब ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक विवादों के मामले बढ़ रहे हैं।

अब मोबाइल को लेकर शर्तों पर पति-पत्नी साथ रहना तय कर रहे हैं। दानीगेट क्षेत्र से आए पति की शिकायत थी कि पत्नी सुबह उठते से फोन पर लग जाती है। दिनभर मायके वालों से व अन्य से बात करती रहती है। इसी को लेकर विवाद होने पर पत्नी तीन महीने पहले घर छोड़कर चली गई।

इसके बाद दोनों के बीच फोन पर भी कहासुनी हुई। पिछले दिनों पति ने परिवार परामर्श केंद्र पर आवेदन दिया। दोनों की काउंसलिंग की गई। पति ले जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन अंत में बोल दिया कि मोबाइल फोन नहीं चलाएगी। इस बात को लेकर फिर विवाद हो गया। पत्नी ने बोल दिया कि यदि मोबाइल फोन चलाने से मना करेंगे तो वो वापस ससुराल नहीं जाएगी।

ऑफिस के बाद भी फोन नहीं छूटता

परिवार परामर्श केंद्र की काउंसलर एवं समाजसेवी वर्षा व्यास का कहना है कि मोबाइल फोन का ज्यादा उपयोग पत्नी के रिश्तों को बिगाड़ रहा है। पिछले दिनों एक मामला आया जिसमें पत्नी की शिकायत थी कि पति दिनभर ऑनलाइन रहते हैं और घर आने पर मोबाइल फोन निकालकर बैठ जाते हैं।

घर परिवार की कोई चिंता नहीं रहती। जबकि पति का कहना था कि पत्नी दिनभर फोन पर मायके वालों से बात करती रहती है। वो जब घर आता है तब भी फोन पर लगी रहती है। पिछले दिनों पत्नी के मोबाइल पर एक मिस्ड कॉल आया इसी बात को लेकर विवाद हुआ।

विवाद इतना बढ़ गया कि पत्नी ने फोन लगाकर माता-पिता को बुला लिया। मारपीट का आरोप लगाया। थाने पर शिकायत की तो दहेज का भी आरोप सामने आ गया। जब उनकी काउंलिंग की गई तो पता चला कि दोनों साथ में रहना चाहते हैं लेकिन लडक़ा चाहता था कि उसकी पत्नी मोबाइल का उपयोग कम करें। काउंसलिंग के बाद दोनों साथ में रहने को तैयार हो गए।

चार में से तीन मामलों में विवाद का कारण मोबाइल

काउंसलर उषा सोडानी बताती हैं कि पिछले 22 सालों से परिवार परामर्श पर काउंसलिंग कर रही हूं। लेकिन वर्तमान दौर में पति-पत्नी के बीच जिस तरह रिश्ते बिगड रहे हैं वो पहले बहुत कम होता था। सोमवार को सोडानी ने चार जोड़ों की काउंसलिंग की। इनमें से तीन मामलों में विवाद का कारण मोबाइल फोन था। नागदा के पति-पत्नी को काउंसलिंग के लिए सोमवार को दूसरी बार बुलाया। पति शासकीय सेवा में अधिकारी के पद पर है। पत्नी की शिकायत थी कि वे रात 12-1 बजे तक अन्य महिलाओं से बात करते रहते हैं। पूछने पर बोलते कि ऑफिस की कर्मचारी है।

सफल वैवाहिक जीवन के लिए प्री-वेडिंग काउंसलिंग की जरूरत

वरिष्ठ समाजसेवी एवं काउंसलर वर्षा व्यास का कहना है कि दांपत्य संबंधों और परिवारों को बचाने के लिए अब प्री वेडिंग काउंसलिंग की जरूरत है। शादी के पहले लडक़ा-लडक़ी की काउंसलिंग होना चाहिए। जिसमें दोनों की इच्छाएं, आशाएं और सच्चाई सामने आ जाएंगी। शादी एक जिम्मेदारी होती है लेकिन नासमझी में वैवाहिक रिश्ते बिगड़ते हैं परिवार के लोग भी कईं महत्वपूर्ण बातों को नवदंपत्ति को नहीं समझा पाते। इसलिए शादी से पूर्व नए रिश्तों को संभालने की जिम्मेदारी को एक कर्तव्य की तरह निभाने की समझाइश देना जरूरी है।

पिछले माह कोर्ट पहुंचे तलाक के 11 मामले

सितंबर माह में परिवार परामर्श केंद्र पर कुल 41 आवेदन पहुंचे।जिसमें 11 विचाराधीन हैं। 09 में समझौता हो गया। 10 फाइल हो गए और 11 पति-पत्नी अंतिम निर्णय अथवा तलाक के लिए कोर्ट पहुंच गए हैं।

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