प्रदूषित पानी में पर्व स्नान….!

हे महाकाल…. करो कल्याण… मोक्षदायिनी शिप्रा बदहाल

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गऊघाट पाले का गेट 1 मीटर खुला, लालपुल के नीचे नालों का पानी भी बहकर पहुंच रहा रामघाट

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:कार्तिक मास में नदी और सरोवर में स्नान का महत्व है वहीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान कर पूजन अर्चन व दीपदान करते हैं, लेकिन इस वर्ष लोगों को नदी में स्टोर खान नदी और नालों के पानी में ही पर्व स्नान करना पड़ेगा क्योंकि प्रशासन द्वारा दूषित पानी की रोकथाम के लिये अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं।

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स्टापडेम पर गंदगी का अंबार

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बारिश सीजन के दौरान ही गणेशोत्सव और नवरात्रि पर्व आये थे। लोगों ने नदी में मूर्तियों का विसर्जन किया था। पाले पर पानी का लेवल कम होते ही उक्त मूर्तियों के ढांचे नदी के किनारों पर दिखने लगे हैं जबकि फूल और पूजन सामग्री स्टापडेम पर एकत्रित हो गई है।

त्रिवेणी से रामघाट तक यह है नदी की स्थिति

त्रिवेणी पर खान नदी का दूषित पानी लगातार शिप्रा नदी में मिल रहा है। यह पानी गऊघाट पाले पर स्टोर हो रहा है। 4 दिन पहले गऊघाट पाले पर पानी का लेवल 12 फीट था। पाले का गेट 1 मीटर खोलकर पानी रामघाट की ओर बहाया जा रहा है। इसके बाद लालपुल के नीचे शांतिनगर, नीलगंगा, ऋषिनगर सहित एक दर्जन कालोनियों का पानी नालों के माध्यम से सीधे नदी में मिल रहा है। यह पानी भी रामघाट की ओर बह रहा है जिसे बड़े पुल तक स्टोर किया गया है। इसी दूषित पानी में कल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं को पर्व स्नान करना पड़ेगा।

रामघाट पर आज से दीपदान शुरू

कार्तिक पर्व के चलते शिप्रा नदी के रामघाट पर महिलाओं द्वारा सुबह से दीपदान कर पूजन अर्चन शुरू कर दिया गया है। नदी में दीपों के अलावा पूजन सामग्री भी डाली जा रही है।

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