बच्चे पर हाथ उठाने से पहले जरूर जान लें यह बातें

By AV NEWS

गुस्से में आकर कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों पर हाथ छोड़ देते हैं। खाना नहीं खाया तो एक चांटा जड़ दिया, पढ़ने नहीं बैठे तो गुस्से में एक तमाचा लगा दिया..ऐसे कई उदाहरण हमारे आस-पास ही दिख जाते हैं जब आए दिन पेरेंट्स अपना गुस्सा बच्चों पर निकालते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इस तरह बच्चे पर हाथ उठाने के कई दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। आइये जानते हैं कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए।

बच्चे बड़ों से ही सीखते हैं। बचपन से आप जिस तरह का रवैया बच्चे को डिसिप्लिन करने के लिए अपनाएंगे वैसा ही वह फॉलो करने लगेगा। बच्चे को लगने लगेगा कि यह तरीका ठीक है और इसके चलते स्कूल से कॉलेज तक वह इस तरह के व्यवहार को अपने साथियों के लिए भी अपना सकता है।

मानसिक रूप से भी हो जाते हैं आहत

बच्चों को पेरेंट्स बड़े ही प्यार से बड़ा करते हैं। जब वह गुस्से में आकर बच्चे पर हाथ उठाते हैं तो बच्चा अपने बारे में बुरा सोचने लगता है और परिणामस्वरूप अलग-थलग सा होने लगता है। भले ही डांटने के बाद आप बच्चे को गले लगा लें लेकिन उसके मन में खुद के लिए गलत भावना ना पनपे,यह रोकना ज़रूरी है।

बच्चे बनते हैं जिद्दी

बच्चों को कंट्रोल करने के लिए हाथ उठाने से बच्चे संभलने के बजाय और ज़िद्दी बन जाते हैं। अक्सर हम काम में इतने व्यस्त होते हैं कि बच्चे की तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता और बच्चे को जब हम किसी एक्टिविटी में नहीं लगाते तब उनको कंट्रोल करने के बजाय अपना आपा खो देते हैं। इस तरह के बर्ताव से बच्चे अपनी और मनमानी करने लगते हैं।

अच्छी नहीं है बच्चे पर हाथ उठाने की आदत

आप बच्चे पर एक बार हाथ उठाएंगे, वह नहीं मानेगा….गुस्से की स्थिति में अक्सर पेरेंट्स अपना आपा खो देते हैं और बहुत एग्रेसिव भी हो जाते हैं। इस तरह के बर्ताव को रोकना बहुत ज़रूरी है क्योंकि बच्चा आपसे बहुत कुछ सीखता है और आपके इस व्यवहार से उसकी मन: स्थिति पर निश्चित तौर पर सही प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपको अपने गुस्से को कंट्रोल कर बच्चे को प्यार से समझाना है। ऐसी नौबत मत आने दीजिए कि बच्चे पर हाथ उठाना पड़े।

पिटाई से नहीं आता सुधार

हम अक्सर कुछ माता पिता को कहते सुनते हैं कि थप्पड़ लगाने के बाद बच्चा और बदतमीजी करता है। बच्चे को आप कोई बात जितना प्यार से समझाने की कोशिश करेंगे, उतना ही वह ठीक से समझेगा। आप चाहें तो कुछ देर बच्चे से बात करना छोड़ दें और फिर शांति से बच्चे को समझाएं। निश्चित तौर पर आप बच्चे के बर्ताव में बदलाव महसूस करेंगे।

बच्चों में आती है डर या बदले की भावना

बच्चों को बात बात डांटने या मारने से उनके अंदर एक तरह का डर घर कर जाता है और वह अपने माता पिता से बातें भी छुपाने लगते हैं। कई बार बच्चों को बड़े होकर पेरेंट्स का यही बर्ताव याद आता है और वह उनकी गंदी मेमोरीज़ में शामिल हो जाता है। कोशिश करें कि आप बच्चे को एक अच्छा और हंसता-खेलता बचपन दें।

बच्चे के आने वाले कल पर पड़ता है दुष्प्रभाव

कई रिसर्च बताती हैं कि कैसे फिजिकल पनिशमेंट पाने वाले बच्चे आक्रामक हो जाते हैं। अपने साथियों के साथ भी उनका कुछ इसी तरह का व्यवहार रहता है और धीरे धीरे उनके रिश्तों पर इसका असर दिखने लगता है। इसलिए सही यही है कि आप जितना हो सके अपने बच्चे को प्यार से समझाएं।

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