बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण, कैसे जानें कि बच्चा डिप्रेशन में है?

By AV NEWS

डिप्रेशन क्या है

डिप्रेशन से जूझ रहा व्यक्ति उदासी, चिड़चिड़ापन या निराशा अनुभव करता है। इससे नींद, भूख या आपसी रिश्तों पर बुरा असर पड़ता है। डिप्रेशन का नतीजा यह भी हो सकता है जिन गतिविधियों में व्यक्ति को पहले दिलचस्पी रही हो, उनमें अब रुचि न रहे।

बच्चों में डिप्रेशन 

बेचैनी और डिप्रेशन ऐसे विकार हैं जो बच्चों में समय-समय पर उभरते रहते हैं। बच्चों में डिप्रेशन मूड स्विंग नहीं है यह उस से अलग है, बच्चे उम्र के साथ समझदार और विकसित होते हैं तो मूड स्विंग होते रहते हैं। इस अवस्था का असर इस बात पर पड़ सकता है की बच्चे अपने दोस्तों व परिवार से किस प्रकार जुड़ाव कायम करते हैं। डिप्रेशन के चलते उनके लिए खेल, हॉबी या बालपन की अन्य गतिविधियों का आनंद लेना कठिन हो जाता है और साधारण हालात भी उनके मन में डर, घबराहट या चिंता पैदा कर देते हैं।

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण: कैसे जानें कि बच्चा डिप्रेशन में है?

1. मूडी या उदास
अगर बच्चा उदास, अकेला, नाखुश या चिड़चिड़ा बर्ताव कर रहा है और ऐसा ही बर्ताव हफ्तों या महीनों जारी रहे, वह बात बात पर रो दे, उसकी झुंझलाहट बढ़ती जाए तो वो डिप्रेशन में है।

2. खुद के प्रति कठोरता
डिप्रेस्ड बच्चे असंतोष से बड़बड़ाते रहते हैं। वे गुस्से से अपनी ही आलोचना या निंदा करते हैं जैसे – “मैं कुछ भी ठीक से नहीं कर सकता”, “मेरा कोई दोस्त नहीं है”, “मैं एकदम नाकारा हूं”, “ये मेरे लिए बहुत मुश्किल है”.

3. ऊर्जा और कोशिश की कमी
डिप्रेशन बच्चे की ऊर्जा ख़त्म कर देता है। हो सकता है की जितनी मेहनत वह पहले स्कूल में करता हो उतनी अब न करता हो। सरल सा काम करने के लिए भी उसे बहुत कोशिश करनी पड़ती है। डिप्रेस्ड बच्चा बहुत जल्दी थक जाता है, बहुत जल्द कोशिश छोड़ देता है या फिर कोशिश ही नहीं करता।

4. नींद औैर खानपान में बदलाव
जो बच्चे डिप्रेशन से गुज़र रहे होते हैं उन्हें पर्याप्त भोजन ग्रहण करने व नींद लेने में भी परेशानी आ सकती है। वास्तविकता से बचने के लिए या तो वे बहुत ज्यादा सोते हैं या फिर कम और ऐसे ही खाना भी बहुत कम कर देते हैं या बहुत ज्यादा खाने लगते हैं।

बच्चे को Depression से कैसे बचाएं?

1. कोग्निटिव बिहेवियरल थेरपी (सीबीटी)
बच्चों में डिप्रेशन का उपचार है- कोग्निटिव बिहेवियरल थेरपी (सीबीटी)। थेरपिस्ट बच्चों की मदद करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करते हैं की वे अपने विचार और ऐहसास अभिव्यक्त करें। वर्कबुक, नाटक, कहानियां या सबक – ये सब विकल्प इस्तेमाल किए जाते हैं। सीबीटी से बच्चे बहुत सुकून व राहत महसूस करते हैं और इनसे उन्हें फायदा होता है। जब आवश्यक हो तो बच्चे के माता-पिता भी थेरपी में शामिल होते हैं।

2. अपने बच्चे के साथ बात करना
यह बेहद महत्वपूर्ण है की आप अपने बच्चे के ऐहसास के बारे में उसके साथ ईमानदारी से बात करें। अपने मन मुताबिक कोई फैसला तय कर लेने की बजाय धैर्य के साथ बच्चे को प्रोत्साहित करें की वह अपने मन की बात बताए।

3. बच्चे का समर्थन/सहयोग
हालांकी डिप्रेशन का इलाज असरदार होता है लेकिन इसमें कुछ सप्ताह का समय लग सकता है। हो सकता है की जब बच्चा तुरंत अच्छा महसूस न करे तो वह दुखी हो जाए, किंतु आप धैर्यपूर्वक कोशिश करते रहें की वह उपचार के नियम का पालन करता रहे, थेरपी ठीक से जारी रहे और अगर डॉक्टर ने कोई दवा लिखी है तो उसका नियमित सेवन कराएं।

4. धैर्यवान और दयालु बनें
तुनकमिज़ाज बच्चों के साथ धैर्य बनाए रखें। जब आपका बच्चा इस प्रकार का बर्ताव करे तो इससे निपटने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है की बच्चे के थेरपिस्ट से बात करें।

बच्चों व किशोरों में डिप्रेशन आम है। इसलिए बचाव के लिए थेरेपी और रोकथाम दोनों मल्टीमॉडल होने चाहिए। इस‍के लिए हमें परिवार, स्कूल व सामाजिक परिवेश समेत बच्चे से जुड़े सभी पक्षों को साथ लेना चाहिए। अगर आपकी तमाम कोशिशों के बावजूद आपका बच्चा नाखुश रहता है तो आपको एक्‍सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए।

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