बोर्ड के पास न अधिकार, ना ही परखने के संसाधन, पॉवर कलेक्टर को है….

By AV NEWS

घातक धातुओं के पटाखे पर कैसे लगे रोक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी बोले-

मामला प्रतिबंधित आतिशबाजी

शैलेष व्यासउज्जैन। एनजीटी ने बेरियम सॉल्ट सहित घातक धातुओं/ केमिकल से निर्मित प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे फोडऩे पर रोक लगा दी। दीपावली करीब है और पटाखों की बिक्री भी होने लगी है। इसके बाद सवाल यही है कि प्रतिबंधित पटाखे फोडऩे पर रोक कैसे संभव है, जबकि प्रदूषण बोर्ड नियंत्रण बोर्ड के पास प्रतिबंधित पटाखों के धातुओं की जांच के संसाधन तो दूर, पटाखों को परखने का कोई सिस्टम ही नहीं है।

दीपावली आते ही वायु प्रदूषण का मुद्दा एक बार फिर गर्माता दिख रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि शहर के जिन इलाकों में वायु प्रदूषण है वहां बेरियम सॉल्ट मिले पटाखे फोडऩे से रोके जाएं। एनजीटी के जस्टिस शेओ कुमार सिंह और सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की खंडपीठ ने प्रदेश में खराब होती वायु की गुणवत्ता को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किए हैं। इधर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन को इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है।

लाखों रुपए के माल की बिक्री हो चुकी है

दीपावली से ठीक पहले दिए गए आदेश के बाद पटाखों की बिक्री को लेकर पड़ताल की गई तो पता चला दीपावली के लिए बुकिंग के साथ पटाखों की शुरू हो चुकी है। व्यापारियों ने बताया कि दशहरे से ही यहां बिक्री शुरू हो चुकी है। काफी संख्या में लोग अब तक लाखों रुपए का माल खरीदकर ले जा चुके हैं।

क्यों खतरनाक है

जानकारों के अनुसार पटाखे में बेरियम नाइट्रेट काफी घातक होता है। इसके धुएं से श्वसन तंत्र में जलन होती है। इसका उपयोग अन्य कंपाउंड को जलाने में मदद मिलती है। ये सफेद रंग का होता है। इससे पटाखे में तेज धमाका होता है और हरा रंग भी निकलता है। बेरियम नाइट्रेट को कलर स्पार्कलर कहा जाता है। पटाखों के फोडऩे पर नीला रंग कॉपर नमक और लाल रंग के लीथियम के उपयोग से निकलता है।

निगरानी का काम अन्य संस्थाओं का

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन के अधिकारियों का कहना है कि भोपाल मुख्यालय से अभी एनजीटी के आदेश के संबंध में कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। उनके पास ऐसे भी कोई संसाधन नहीं है, जिससे यह पता चल सके कि पटाखे में बेरियम मौजूद है? पटाखों में बेरियम व अन्य धातुओं का उपयोग नहीं हो, इसकी निगरानी का काम नीरो (नेशनल इनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) और पेसो (द पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोजिव्स सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन) का है। बोर्ड दीपावली के पहले और बाद के सात दिन रिपोर्ट की मॉनिटरिंग करता है। इसके बाद प्रतिवेदन बनाकर मुख्यालय के साथ-साथ संबंधित एजेंसियों को भेजा जाता है।

एनजीटी ने किसे, क्या निर्देश दिए इसकी जानकारी नहीं है

प्रतिबंधित पटाखे के विक्रय और उपयोग पर रोक के संबंध में चर्चा के लिए एचके तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन से प्रत्यक्ष और मोबाइल पर कई मर्तबा संपर्क किया गया, लेकिन तिवारी उपलब्ध ही नहीं हुए। बोर्ड के अन्य अधिकारियों ने बोर्ड के ऑफिस में संकुचाते हुए नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस तरह की कार्रवाई के लिए हमारे पास कोई पॉवर नहीं है।

यह काम तो जिला प्रशासन का है, लेकिन प्रशासन जो करें, वह कम है। बोर्ड से समय-समय पर प्रशासन को पत्र, दिशा-निर्देश और गाइड लाइन के संबंध में पत्र द्वारा अवगत कराया जाता है। हद तो यह है कि प्रशासन का अमला इसका सार और महत्व समझें बगैर ही प्रदूषण नाम देखकर ही बोर्ड के पत्र को बोर्ड के पास मार्किग कर वापस प्रेषित कर देते हैं। एनजीटी ने किसे, क्या निर्देश दिए हंै, इसकी जानकारी नहीं है।

Share This Article