मां लक्ष्मी को पसंद आते हैं ये 5 प्रकार के प्रसाद

दिवाली की पूजा में प्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कहते हैं कि पूजा के दौरान मां लक्ष्मी घर आती हैं इसलिये द्वार पर भी रंग से देवी के पैरों की छाप एवं शुभ चिन्ह बनाये जाते हैं। मंदिर में भोग के लिये भी उस प्रसाद को प्राथमिकता दी जाती है, जो मां विष्णुप्रिया को अतिप्रिय हो। वैसे तो ईश्वर भाव का भूखा होता है, भक्त उन्हें सच्चे मन से जो भोग लगा दे, वही पर्याप्त होता है। लेकिन भक्त तो अपनी तरफ से मां को प्रसन्न करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। अगली स्लाड्स में प्रस्तुत हैं वे 5 भोग, जिनसे माता लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न।

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मखाना
मखाना देवी लक्ष्मी को बहुत पसंद होता है क्योंकि यह कमल के फूल के बीज से बनता है इसलिए इसे फूल मखाना भी कहा जाता है। मां लक्ष्मी के भोग में यह अनिवार्य रुप से चढ़ता है। मखाने की खीर बनाकर तथा उसे घी में हल्का सेंककर भी भोग दिवाली की पूजा के समय लगाया जाता है।

नारियल
नारियल का प्रसाद अधिकतर मंदिरों में चढ़ाया जाता है। दरअसल, इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है इसलिए शिवजी को इसका भोग नहीं लगता लेकिन देवी कमला का संबंध विष्णु जी से है इसलिए उन्हें भी नारियल का प्रसाद चढ़ता है। दिवाली पर नारियल का प्रसाद चढ़ाने से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं।

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बताशे
देवी लक्ष्मी को चंद्रमा की बहन भी माना जाता है। बताशे का संबंध चंद्रमा से है इसलिए माता को भी यह पसंद है। इसलिए विशेषकर बताशे एवं चीनी के खिलौने मां को प्रसाद के रुप में चढ़ते हैं। साथ ही खीर और मिठाई के रुप में अन्य सफेद प्रसाद भी मां को खुश करने के लिये चढ़ाए जाते हैं।

पान
दिवाली की पूजा के दौरान आरती से पहले ही सभी भोग मां को चढ़ा दिये जाते हैं लेकिन पान ही एकमात्र ऐसा भोग होता है, जो सबसे आखरी में लगता है। लक्ष्मी जी को वैसे तो मीठा पानी चढ़ाया जाता है लेकिन यदि मीठा पान उपलब्ध नहीं होता है तो पान के सादे पत्ते को भी श्रीचरणों में अर्पित किया जा सकता है।

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सिंघाड़ा
देवी लक्ष्मी को वे सभी फल- फूल बेहद रास आते हैं, जो कि जल में फलते-फूलते हैं। कमल, मखाना, कमल ककड़ी के अलावा यश की देवी के लिए सिंघाड़ा भी रुचि का भोग है। हरे और काले, दोनों ही प्रकार के सिंघाड़े माता को प्रसाद स्वरुप चढ़ाये जाते हैं। दिवाली पर इनका विशेष महत्व होता है।

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