मेला लगने के पहले ही झूले वालों के खर्च हो गये दो लाख रुपये

By AV NEWS

सरकारी जमीन पर सामान नहीं रखने दिया तो किराये पर खेत लेना पड़ा…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन इस वर्ष परंपरागत कार्तिक मेला विवादों में घिरता जा रहा है। मेला लगने की निर्धारित तिथि में बदलाव और दुकान आवंटन की प्रक्रिया में उलझे मेले से व्यापारी परेशान हैं। स्थिति यह है कि झूले वाले मेला लगने के 4 दिन पहले सामान लेकर उज्जैन आ गये लेकिन निगम अफसरों ने उन्हें मेला ग्राउण्ड में सामान तक नहीं रखने दिया।

कोटा से झूला और बच्चों की ट्रेन लेकर उज्जैन पहुंचे व्यापारी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर हर वर्ष मेला शुरू हो जाता था। इसी अनुमान से हम लोग पूर्णिमा से 4 दिन पहले ट्रक में सामान भरकर उज्जैन आ गये। कार्तिक मेला ग्राउण्ड में सामान खाली कर रहे थे तो अफसरों ने रोक दिया। मजबूरी में दत्त अखाड़ा के पीछे खेत किराये पर लेकर सामान रखना पड़ा जबकि दो झूले वालों ने रणजीत हनुमान मंदिर के पीछे खुली जमीन किराये पर लेकर अपना सामान रखा है।

एक झूले वाले के साथ 12 लोगों का स्टाफ रहता है। जिनके रहने और खाने का प्रबंध झूला मालिक करते हैं। परंपरागत मेले की तारीख बढऩे और कार्तिक मेला ग्राउण्ड पर सामान रखने की अनुमति नहीं मिलने का परिणाम यह हुआ कि हर झूला व्यापारी को दो-दो लाख रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़े हैं। जो खेत किराये पर लिया उसने एक व्यक्ति से 40 हजार रुपये लिये हैं। यदि नगर निगम द्वारा इस प्रकार मेले का आयोजन किया जायेगा तो अगले वर्ष यहां आने से पहले 10 बार सोचेंगे।

दुकान आवंटन को लेकर अफसरों को घेरा

नगर निगम द्वारा कार्तिक मेले में दुकानों का आवंटन ऑनलाईन पद्धति से किया जा रहा है। इसकी सूचना पूर्व में प्रसारित कर दी गई थी। व्यापारियों ने ऑनलाइन बोली भी लगाई। 30 नवंबर को नगर निगम मुख्यालय में व्यापारियों के सामने टेंडर खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई तो व्यापारियों ने अफसरों को घेर लिया। व्यापारियों का कहना था कि टेंडर प्रक्रिया की शर्त के अनुसार एक व्यापारी 5 दुकानों की बोली लगा सकता है और सर्वाधिक बोले होने पर 5 दुकानें ले सकता है।

व्यापारियों ने इसी शर्त के अनुसार टेंडर प्रक्रिया पूरी की और एक प्रक्रिया में प्रयुक्त डाक्यूमेंट को अन्य चार में मान्य समझ लिया जबकि अफसरों का कहना था कि अलग-अलग दुकानों के लिये बोली लगाने वाले व्यापारियों को हर प्रक्रिया में डॉक्यूमेंट लगाना थे। जिन्होंने इसका पालन नहीं किया उन्हें एक ही दुकान आवंटित की जायेगी। इसी बात को लेकर निगम अफसर और व्यापारी आमने सामने हो गये।

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