यह कोई मवेशी, गौशाला या अनाथालय का दृश्य नहीं…

संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की दुर्दशा की तस्वीर है….
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उज्जैन। सिर्फ कहने के लिये शहरवासियों के लिये यह सबसे बड़ी सौगात है जहां संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल मौजूद है, लेकिन यहां की अव्यवस्था व अफसरों की अनदेखी का आलम यह है कि कोई भी संभ्रांत व्यक्ति यहां उपचार के लिये आना नहीं चाहता। यह बात अलग है कि अस्पताल के परिसर में गंदगी, आवारा मवेशी और लावारिसों ने अपना डेरा जरूर जमा लिया है।
पिछले दिनों एनक्यूएएस के राष्ट्रीय दल के अधिकारियों ने जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर अस्पताल परिसर, मरीजों को मिलने वाले भोजन व सुविधाओं का निरीक्षण किया था। इसको लेकर अस्पताल के अफसरों ने एसएनसीयू, शिशु रोग विभाग, गायनिक ऑपरेशन थियेटर के अलावा वार्डों में भी नए चादर, कंबल की व्यवस्था कराई। एक माह पहले से अस्पताल बिल्डिंग की रंगाई पुताई और परिसर की सफाई कराई गई थी। यह सब अफसरों ने टीम को दिखाने के लिये किया।
उस दौरान अस्पताल की व्यवस्थाएं देखकर लोगों ने कहा था कि काश जिला अस्पताल सचमुच ऐसा ही हो जाये ताकि हर वर्ग के मरीज यहां उपचार कराने आएं, लेकिन इस टीम के दौरे को अभी 15 दिन भी नहीं गुजरे थे कि फिर लापरवाही का आलम सामने आने लगा। अब अस्पताल परिसर में गाय व अन्य मवेशियों के अलावा आवारा श्वानों के झुंड और यहां वहां फैली गंदगी नजर आ रही है। खास बात यह कि नशाखोरों, आवारा व असामाजिक तत्वों के साथ साथ लावारिसों ने अस्पताल को सराय बना लिया है। रात होते ही अस्पताल परिसर में शराबखोरी शुरू हो जाती है तो लावारिस भी किराये के बिस्तर लेकर परिसर में ही रात गुजारना, दिन में यहीं पर भिक्षावृत्ति करना और प्याउ पर स्नान आदि करते नजर आते हैं।
जिम्मेदार ही बन रहे लापरवाह
अस्पताल की व्यवस्थाओं पर निगरानी रखना, कमी पाए जाने पर संबंधित को नोटिस देना और कार्य पूर्ण कराने से लेकर मरीजों को शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी सिविल सर्जन और सीएमएचओ की है। वर्तमान में हालात यह हैं कि जिला अस्पताल में शासन द्वारा नियुक्त सिविल सर्जन का पद रिक्त है। यहां पर प्रभारी सिविल सर्जन के रूप में डॉ. पी.एन. वर्मा काम कर रहे हैं
लेकिन वह जिला अस्पताल स्थित अपने कार्यालय में बैठना पसंद नहीं करते। अधिकांश समय चरक अस्पताल में बिताते हैं। खास बात यह कि चरक अस्पताल में अलग सिविल सर्जन डॉ. निधि जैन पदस्थ हैं उसके बावजूद डॉ. वर्मा चरक अस्पताल में डेरा जमाये रहते हैं। रही बात सीएमएचओ की तो वह कभी भी जिला अस्पताल का दौरा, निरीक्षण तक करने नहीं आते। इन दिनों जिला अस्पताल का कामकाज भगवान भरोसे चल रहा है।