विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी जनसंपर्क को डोर टू डोर करने में जुट गए हंै। हर दिन प्रत्याशी जनसंपर्क में सड़क नाप रहे हैं। ऐसे धूप-छांव में सेहत और खानपान को लेकर खास ध्यान रखा जा रहा है। प्रत्याशी की सेहत नहीं बिगड़े इसके लिए निरंतर विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं। मौसम भी बदल रहा है। ठंडा-गर्म में प्रत्याशियों का मिजाज न खराब हो इसके लिए सावधानी बरती जा रही है।
प्रमुख प्रत्याशी चुनाव रण में कोई चूक करना नहीं चाहते हैं। सुबह से लेकर रात में सोने तक खान पान तय समय पर कर रहे हैं। डाइटीशियन से विशेष सलाह लेकर खाने का शेड्यूल बनाया गया है। मौसम के अनुरूप फल और हल्का भोजन प्रत्याशी करते हैं। घर से निकलते ही सुबह नाश्ता इसके बाद जनसंपर्क के बीच में बाहर के खान-पान से परहेज करते हैं। जनसंपर्क में जिसके घर गए और चाय-नाश्ता पेश किया उसे बातों में टालकर रस्म अदायगी करते हैं। लंबे समय तक मोटा आहार लेने की बजाए तरल पदार्थ का सेवन अधिक करते हैं। अपनी गाड़ी में घर में बने उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं।
बाहरी खाने से परहेज भी
सेहत ही नहीं सुरक्षा के लिहाज से भी प्रत्याशी बाहरी खानपान से बचते हैं। खासतौर पर जनसंपर्क के बीच में किसी अनजान के यहां मिलने वाले खाद्य सामग्री को कई प्रत्याशी नहीं खाते कि कहीं उनके खाने से सेहत पर असर न हो।
‘हीरा’ खरीद लिया…!
जिले की एक हाईप्रोफइल सीट पर प्रमुख दल के उम्मीदवार सामने आने के बाद से कड़ी टक्कर की चर्चा होने लगी थी। एक प्रमुख प्रत्याशी के रणनीतिकार भी मुकाबले को आसान नहीं मान रहे थे। एक-एक वोट की कीमत समझ आने लगी। शायद यही वजह है कि ‘हीरा’ खरीदने में देर नहीं की।
दरअसल इस सीट से नामांकन दाखिल करने वाले स्वतंत्र उम्मीदवार नाम वापसी और चुनाव चिन्ह आवंटित होने के अगले ही दिन प्रचार की गाड़ी कसवा कर ‘हीरा’ दिखाते हुए मतदाताओं से ‘वोट’ प्राप्त करने के लिए निकल गए। प्रचार का अभी एक ही दिन हुआ था कि पंजीकृत दल के कद्दावर उम्मीदवार के रणनीतिकारों, सिपाहसालारों और समर्थकों ने पहले ‘प्रेम’ से हीरा प्राप्त करने का प्रयास किया। सफलता नहीं मिली तो ‘हीरा’ खरीद लिया। बयान तो समर्थन देने का जारी कराया। इसके लिए बकायदा ‘गवाह-सबूत’ रखे गए, ताकि बाद में बात नहीं बिगड़े।