अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर के एक स्कूल के चार शिक्षकों और दो भृत्यों को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबन के पीछे के कारणों पर पूरे शहर में जमकर चर्चा हो रही है, वहीं निलंबित शिक्षकों का शहर में चर्चा करते हुए लोगों से कहना है कि हमारी तो कोई गलती ही नहीं है, हमें बगैर किसी कारण के शिकार बना दिया गया। उनके अनुसार उन्हें चिंता इस बात की है कि इस निलंबन के नाम पर सेवा पुस्तिका में उल्लेख करके आगे के इंक्रीमेंट/सेवा अवधि को समाप्त न कर दिया जाए।
शहर में जो चर्चा है, उस अनुसार संबंधित स्कूल की छत पर मैनेजमेंट द्वारा सोलर पैनल लगाए गए हैं। इन सोलर पैनल के रखरखाव हेतु चार शिक्षकों और दो भृत्यों को नियुक्त किया गया था। इनका काम था कि रोजाना जाकर पैनल को चेक करें और करंट आ रहा है या नहीं, उसे देखे। शिक्षकों के अनुसार वे न तो इस लाइन के आदमी है और न ही इस बारे में उन्हें कोई प्रशिक्षण दिया गया। वास्तव में यह काम तो मैंटेनेंस करने वाले टेक्नीशियंस का रहता है। बावजूद इसके उक्त जिम्मेदारी देने की सूचना देकर उनके हस्ताक्षर करवा लिए गए।
वे स्कूल की छत पर जाते और पैनल देखकर आ जाते। इधर बंदरों का झुंड आया और पैनल्स पर कूदफांद की। इसके चलते उसमें खराबी आ गई। खराबी का पता जब मैनेजमेंट को लगा तो उन्होंने प्राचार्य को निर्देश दिए कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई करो।
इसके चलते प्राचार्य ने सभी ६ को दो-दो दिन के निलंबन के नोटिस थमा दिए। जिन्हें नोटिस दिए गए उनमें एक स्पोर्ट्स शिक्षक, एक लैब असिस्टेंट और शेष दो गणित के शिक्षक हैं। इसके अलावा दो भृत्य हैं। इनमें से दो शिक्षकों ने जब मैनेजमैंट से संपर्क किया तो जवाब मिला यह काम प्राचार्य का है, उनसे ही मिलो, हम भी चर्चा करेंगे। यह मैनेजमेंट के निर्देश थे, मेरा काम तो निर्देश का पालन करना है। इस बीच अन्य दो शिक्षकों का कहना है कि वे मैनेजमेंट से मिले थे, इसलिए उन्हें स्कूल बुला लिया गया वहीं शेष दो शिक्षक अवकाश पर चले गए।
हालांकि उन्हें यह नहीं बताया गया कि निलंबन का पत्र निरस्त कर दिया गया है या उनकी सेवा पुस्तिका में जोड़कर उनके कॅरियर पर प्रश्न चिह्न लगा दिया गया है। घटना की चर्चा शहरभर में होने के बाद शिक्षा जगत में हलचल है कि क्या आगे से कोई अच्छे हैंड्स स्कूल से जुड़कर अपना भविष्य उज्जवल कर सकेंगे? इधर चर्चा है कि यहां संचालित कॉलेज में भी इसी प्रकार की घटना होने पर मैनेजमेंट द्वारा प्राचार्य के वेतन से नुकसान की राशि काटने के निर्देश जारी हो गए थे। बाद में प्राचार्य नौकरी छोड़कर चले गए।