शासन ने बदले नियम, निजी स्कूलों को मिली राहत…

जिला शिक्षा अधिकारी से छीने मान्यता देने का अधिकार, विलंब शुल्क भी 5 हजार रुपए कम…

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उज्जैन। राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत कार्य करने वाले जिला परियोजना समन्वयकों डीपीसी को जिला शिक्षा अधिकारी के अधीन कार्य करने की तैयारियों के बीच राज्य सरकार ने बढ़ा बदलाव कर दिया है। इस बदलाव से जहां जिला शिक्षा अधिकारियों के अधिकार छिन लिए गए हैं तो डीपीसी के अधिकार बढ़ा दिए गए हैं। नए अधिकारों के तहत अब निजी प्रायमरी और मिडिल स्कूलों को मान्यता डीपीसी जारी करेंगे। अभी तक प्रायमरी और मिडिल स्कूलों को मान्यता डीईओ कार्यालय द्वारा जारी की जाती थी। इसके साथ ही नए नियमों में स्कूल संचालकों को भी राहत दी गई है।

नए नियम सीधे तौर पर डीईओ के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रदेश भर के डीईओ अभी तक डीपीसी को अपने मातहत करने की मांग कर रहे थे, इसके सपने भी डीईओ देखने लगे थे। साथ ही शासन स्तर पर भी सभी डीपीसी कार्यालय डीईओ के साथ ही लगाने की व्यवस्था भी की जा रही थी। मगर अब मान्यता के अधिकार मिलने से डीपीसी का कार्य भी बढ़ जाएगा। निजी स्कूल अब डीईओ के बजाय डीपीसी से ही संपर्क करेंगे। नई मान्यता देने के साथ ही मान्यता नवीनीकरण, स्थान, समिति आदि में बदलाव के प्रकरण भी अब डीपीसी कार्यालय से ही निराकृत होंगे।

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अब 30 दिनों के भीतर होगा निराकरण

निजी स्कूलों को हर तीन साल में मान्यता का नवीनीकरण करना पड़ता है। नए नियमों के अनुसार जिला परियोजना समन्वयक को अब 30 दिन में मान्यता प्रकरण का अनिवार्य रूप से निराकरण करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो पोर्टल स्वत: ही यह प्रकरण कलेक्टर को भेज देगा। इसे डीपीसी की अनुशंसा मानते हुए कलेक्टर निरीक्षण कराएंगे और जांच में मापदंड पूरे न होने पर मान्यता निरस्त कर सकेंगे। वहीं किन्हीं कारणों से डीपीसी मान्यता नहीं देते हैं, तो स्कूल प्रबंधक कलेक्टर के समक्ष 30 दिन में प्रथम अपील प्रस्तुत कर सकेंगे और 30 दिन में कलेक्टर को उसका निराकरण करना होगा। ऐसा नहीं होता है तो द्वितीय अपील आयुक्त या संचालक राज्य शिक्षा केंद्र के समक्ष करनी होगी। उनका निर्णय अंतिम और बंधनकारी होगा।

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विलंब शुल्क में राहत… राज्य सरकार ने मान्यता विलंब शुल्क भी 10 हजार रुपए से घटाकर पांच हजार रुपए कर दिया है। नए नियमों के अनुसार स्कूल को नाम, पता या स्कूल समिति का नाम बदलने के लिए पांच हजार रुपए शुल्क देना होगा। नया स्कूल खोलने के लिए पांच से 10 हजार रुपए मान्यता शुल्क लिया जाएगा, जबकि मान्यता नवीनीकरण के लिए स्कूल संचालकों को दो से चार हजार रुपए शुल्क देना होगा।

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