शिप्रा की स्वच्छता के लिए मोहन सरकार के प्रयास, 603 करोड़ की योजना

By AV NEWS

ट्रीटमेंट के बाद शिप्रा में छोड़ा जाएगा नालों का पानी

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शिप्रा की स्वच्छता के लिए प्रदेश की मोहन सरकार के प्रयास प्रारंभ हो गए है। नदियों के कायाकल्प के लिए 603 करोड़ रु.की योजना तैयार की गई है। शिप्रा नदी में नालों का पानी ट्रीटमेंट के बाद ही छोड़ा जाएगा। गंदे पानी के माध्यमों को डायवर्ट भी किया जाएगा। इंदौर की कान्ह-सरस्वती नदी उज्जैन के समीप शिप्रा नदी में जाकर मिलती हैं और शिप्रा के पानी को प्रदूषित करती है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने योजना तैयार कर ली है।

शिप्रा, कान्ह और सरस्वती नदी का पुराना स्वरूप लौटाने की कवायद हो रही है। इसमें खर्च होने वाली कुल 603 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार देगी। साथ ही 15 वर्षों के आपरेशन व मेंटेनेंस का खर्च भी वहन करेगी। इसके क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित नगरीय निकायों की होगी। नालों का पानी मिल जाने से मोक्षदायिनी शिप्रा दूषित हो रही है। नमामि गंगा मिशन दो के तहत इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदी में सीवेज रोकने के लिए एसटीपी बनाए जाएंगे। नालों को रोकने के साथ इनका डायवर्सन किया जाएगा। इसमें करीब 511 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसी तरह उज्जैन में प्रदूषित हो रही शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए 92 करोड़ रुपये से इसके किनारे एसटीपी और नालों के पानी को उपचारित करने के लिए भी ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे।

उज्जैन में 22 और 2.38 एमएलडी के ट्रीटमेंट प्लांट बनेंगे

उज्जैन में भैरवगढ़ और पीलिया खाल नाले के दूषित पानी को ट्रीटमेंट के बाद शिप्रा नदी में छोड़ा जाएगा। इसके लिए 22 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। वहीं गंदे पानी को रोकने के लिए 2.38 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा।

कान्ह-सरस्वती में मिलने से रोकेंगे 185 एमएलडी सीवेज

कान्ह व सरस्वती में मिलने वाले सीवेज को रोकने के लिए क्रमश: 120, 40 और 35 एमएलडी के तीन एसटीपी बनाए जाएंगे। इस पानी को उपचारित करने के बाद पुन: उपयोग किया जाएगा। कनाडिया ड्रेन नाले का अवरोधन और करीब 6.5 किलोमीटर लंबाई को डायवर्ट किया जाएगा। लक्ष्मी बाई प्रतिमा के पास 35 एमएलडी एसटीपी के लिए 1600 मिमी व्यास की सीवर लाइन बिछाई जाएगी। इसी तरह 120 एमएलडी एसटीपी के लिए 1800 मिमी व्यास की मौजूदा पाइप लाइन का डायवर्सन किया जाएगा।

टेंडर जारी, जल्द शुरू होगा काम

इंदौर की कान्ह-सरस्वती नदी उज्जैन के समीप शिप्रा नदी में जाकर मिलती हैं और शिप्रा चंबल में समाती है। चंबल नदी यमुना नदी में और यमुना आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है। इसलिए नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए इसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का प्रयास केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं, इच्छुक निविदाकर्ताओं ने इसमें हिस्सा भी लिया है। टेंडर फाइनल होते ही इन नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का काम शुरू होगा।

इनका कहना

नगरीय निकायों के माध्यम से नमामि गंगे मिशन के तहत नदियों का कायाकल्प होना है। पहले चरण में इंदौर व उज्जैन के लिए टेंडर जारी हो गए हैं। जल्द ही काम शुरू होगा।

भरत यादव, आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग।

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