संभाग के सबसे बड़े जिला अस्पताल में रैबिज का इलाज नहीं, वहीं दूसरी ओर झूठी बीमारी का हवाला देकर बुला रहे एम्बुलेंस

By AV NEWS

स्वास्थ्य विभाग के दो पहलु…. एक में उपचार नहीं तो तो दूसरे में एम्बुलेंस का सुविधानुसार व्यक्तिगत उपयोग

एक ओर संभाग के सबसे बड़े जिला अस्पताल में रैबिज का इलाज नहीं, वहीं दूसरी ओर झूठी बीमारी का हवाला देकर बुला रहे एम्बुलेंस

उज्जैन। इसे स्वास्थ्य विभाग की खामी कहे या विसंगति…रेबीज से पीडि़त एक व्यक्ति उपचार के लिए जिला अस्पताल परिसर में तड़पता नजर आया। दरअसल रैबिज के उपचार की संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में कोई व्यवस्था ही नहीं है। डॉक्टर्स ने उसे इंदौर रैफर कर दिया। प्रभावित व्यक्ति के परिजन उसे ऑटो में कहीं ओर लेकर चले गए। दूसरी एक घटना ऐसी है जो स्वास्थ्य विभाग में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इसमें बताया जाता है कि एक वृद्ध बीमार होने का हवाला देकर एम्बुलेंस में उज्जैन तक आते हैं, कुछ समय अस्पताल में बिताने के बाद फिर घर लौट जाते हैं।

तड़पता रहा मरीज, इंदौर रैफर किया

उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की ओपीडी के बाहर एक मरीज 30 मिनिट तक उपचार के लिये तड़पता रहा। हालत गंभीर होने पर परिजन उसे आटो में डालकर ले गये। अस्पताल स्टाफ ने बताया कि उक्त मरीज रैबिज से पीडि़त था जिसका उपचार यहां नहीं होता।

मानवता के मंदिर का अमानवीय पहलू

सरकारी अस्पताल को मानवता का मंदिर भी कहा जा सकता है जहां गंभीर से गंभीर हालत में आने वाले मरीज उपचार के बाद ठीक होकर अपने घर लौटते हैं और जिसका कोई नहीं होता वह भी यहां ईलाज पाता है, लेकिन इसी व्यवस्था में अमानवीय पहलू सुबह 9.30 बजे ओपीडी के बाहर देखने को मिला जब रैबिज की बीमारी से पीडि़त युवक ओपीडी के बाहर पड़ा रहा।

उसके परिजनों ने बताया कि 6 माह पहले कुत्ते ने काटा था। समय पर इंजेक्शन नहीं लगवाये तो बीमारी गंभीर हो गई। उसका इंदौर में उपचार कराया और घर लौट आये लेकिन अब हालत बिगड़ती जा रही है इसी कारण जिला अस्पताल लेकर आये हैं। ओपीडी के ड्यूटी डॉक्टर, कम्पाउण्डर आदि स्टाफ के लोग उसे देखने परिसर में आये। वह खून की उल्टियां भी कर रहा था। डॉक्टर को पता चला कि यह रैबिज का मरीज है तो उसे इंदौर ले जाने की सलाह परिजनों को दी।

ऐसी हालत में इंदौर कैसे ले जाएं

रैबीज से पीडि़त युवक के परिजनों ने बताया कि हालत गंभीर है अब इंदौर कैसे लेकर जाएं। ड्यूटी डॉक्टर या स्टाफ द्वारा एम्बुलेंस आदि का कोई प्रबंध नहीं किया गया वहीं परिजनों को कोई आश्वासन भी नहीं दिया। परिणाम यह रहा कि युवक को आटो में डालकर परिजन कहीं चले गये।

जिला अस्पताल में रैबिज के मरीजों का उपचार नहीं होता। ऐसे मरीजों को इंदौर रैफर किया जाता है। सुबह ओपीडी के बाहर क्या घटनाक्रम हुआ इसकी जानकारी नहीं है। रैबिज का मरीज आया था तो उसे ड्यूटी डॉक्टर द्वारा इंदौर भेजने के लिये एम्बुलेंस का प्रबंध करना था। मरीज को ड्यूटी डॉक्टर आदित्य सिंह ने अटेंड किया था। उन्होंने बताया कि मरीज के परिजन जल्दी में थे। इस कारण एम्बुलेंस आने से पहले उसे लेकर चले गए।-डॉ. पी.एन. वर्मा, सिविल सर्जन सीएच

बीमारी तो बहाना है उनको उज्जैन आना

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शासन द्वारा मरीजों की सुविधा के लिये डायल 108 एम्बुलेंस का संचालन किया जा रहा है। जिसका मकसद है गंभीर मरीजों को तत्काल सरकारी अस्पताल तक पहुंचाना, लेकिन कई लोग इस टोल फ्री नंबर का दुरूपयोग भी कर रहे हैं।

108 एम्बुलेंस के ड्रायवर राधेश्याम वर्मा ने बताया कि बडनगर का एक वृद्ध डायल 108 पर सीने में तेज दर्द की शिकायत करता है। उसे हम लोग पांच बार बडनगर से जिला अस्पताल तत्काल चिकित्सा के लिये ला चुके हैं। बाद में पता चला कि उक्त व्यक्ति झूठ बोलकर जिला अस्पताल तक आता था। चेकअप के बाद डॉक्टर उसे वार्ड में भर्ती भी कर देते लेकिन वह वृद्ध दवाएं लेकर वार्ड से भाग जाता था। वर्मा के अनुसार यदि तुरंत गंभीर व्यक्ति के पास नहीं पहुंचे तो इसकी शिकायत सीधे भोपाल में होती है साथ ही साथ गंभीर व्यक्ति को भी जान का खतरा बना रहता है। ऐसे में कई बार फर्जी फोन पर भी जाना पडता है।

तराना जाएगी क्या…

नीलेश सुर्वे 108 एम्बुलेंस का चालक गंभीर बीमार महिला को तराना से उज्जैन लेकर आया। यहां डॉक्टरों द्वारा उक्त महिला को चेकअप के बाद वार्ड में भर्ती किया गया। जब नीलेश अपना वाहन पुन: तराना के लिये ले जाने लगा तो तीन लोग उसके पास पहुंचे। पूछा कहां की एम्बुलेंस है। नीलेश ने कहा तराना की। उक्त लोगों ने पूछा हमें तराना छोड दोगे। 200 रूपये ले लेना। नीलेश ने कहा 300 लगेंगे। उक्त लोग 250 रूपये देकर एम्बुलेंस से तराना के लिये रवाना हो गये।

झूठे फोन वालों पर कार्रवाई नहीं

शासन की एम्बुलेंस सेवा गंभीर बीमार और दुर्घटना के शिकार लोगों के लिये है लेकिन कई लोग झूठे फोन कर एम्बुलेंस चालकों को परेशान कर उनका समय भी बर्बाद करते हैं, लेकिन ऐसे झूठे फोन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि एम्बुलेंस चालकों का कहना है कि फोन आते ही तुरंत मौके पर पहुंचना होता है क्योंकि यह किसी की जिंदगी का सवाल है। यदि फोन को फर्जी मानकर नहीं जाएं तो किसी की जान भी जा सकती है।

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