सोमवती अमावस्या कब है? जानें पूजा विधि, महत्व

इस साल चैत्र माह में सोमवती अमावस्या पड़ रही है। दरअसल, जो अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। हिन्दू धर्म में यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण होती है। 12 अप्रैल को यह सोमवती अमावस्या पड़ रही है। पुराणों के अनुसार,सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है। परन्तु इस साल कोरोना महामारी के चलते नदियों में स्न्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति कुछ धर्म-कर्म करता है तो उसके जीवन के कष्ट दूर होते है।

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चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ- 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को प्रातः 06 बजकर 05 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को प्रातः 08 बजकर 02 मिनट पर

चैत्र अमावस्या की पूजा विधि

  • चैत्र अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठें।
  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
  • सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
  • इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
  • आज के दिन जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

चैत्र अमावस्या का महत्व

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पित्तरों के दर्पण के लिए समर्पित है। इसलिए इस दिन पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखा जाता है। खासकर जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं उनके लिए अमावस्या व्रत इस दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं अन्य माह की अमावस्या के समान चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।

चैत्र अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व

अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए मन को एकाग्रचित करने का यह कारगर दिन होता है। इसलिए अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ होता है। अमावस्या को जन्म लेने वाले की कुंडली में चंद्र दोष होता है।

चैत्र अमावस्या होता है हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन

चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है। विक्रम संवंत को आम भाषा में हिन्दू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो हिन्दू वर्ष का पहला दिन होता है। कहते हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। नवरात्र भी हिन्दू नवर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है।

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