स्वच्छ, निर्मल, प्रवाहमान शिप्रा के लिए प्राधिकरण के गठन की तैयारी

नदी के संरक्षण, विकास के लिए करेगा काम
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन की शिप्रा नदी के पानी को निर्मल और आचमन लायक बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके लिए जल्द शिप्रा नदी प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्राधिकरण बनाने का खाका तकरीबन तैयार कर लिया है। प्राधिकरण नदी के संरक्षण, विकास के लिए काम करेगा।
प्रदेश सरकार शिप्रा को एकदम साफ रखने के लक्ष्य को लेकर लगातार सक्रिय है। इस दिशा में कई स्तर पर मंथन के बाद नदी के लिए अलग ही प्राधिकरण के गठन का निर्णय लिया गया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधीन बनने वाले प्राधिकरण में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ अधिकारियों के साथ ही पूरा एक सेटअप तैयार किया जाएगा, जो केवल शिप्रा नदी के लिए ही काम करेगा। भाजपा के संकल्प पत्र में शिप्रा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए विस्तृत प्लानिंग की घोषणा भी की गई थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्राधिकरण बनाने का खाका तकरीबन तैयार कर लिया है।
सबसे अधिक गंदा पानी कान्ह से आता है
बता दें कि देश के सबसे स्वच्छ इंदौर का सीवेज युक्त 250 एमएलडी पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा में मिलता है। इससे शिप्रा का स्वच्छ पानी भी दूषित होता है। बीते ढाई दशक में राज्य और केंद्र की सरकार ने कई प्रयास किए। अरबों रुपये भी खर्चे, बावजूद शिप्रा का जल शुद्ध नहीं हो सका।
शिप्रा नदी पर एक नजर
- देश की पवित्र नदियों में से एक है और इसका धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व।
- यह इंदौर के उज्जैनी मुंडला गांव की ककड़ी बड़ली नामक स्थान से निकलती है।
- 195 किमी बहने के बाद मंदसौर में चंबल मे मिल जाती है
- कान्ह नदी और गंभीर इसकी सहायक नदियां हैं।
- 432 करोड़ रुपये नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण योजना के तहत नर्मदा से जोड़ा गया है।
अधिकारी स्तर बैठक हो चुकी है
विभागीय सूत्रों का कहना है कि शिप्रा नदी के पानी को निर्मल और आचमन लायक बनाने में तीन जिले इंदौर, देवास और उज्जैन में एकसाथ काम करने की आवश्यकता है। अलग-अलग अधिकारियों के कारण किसी भी योजना के क्रियान्वयन समन्वय की कमी सामने आती रही है। शिप्रा के लिए तैयार होने वाली प्लानिंग पर एकसाथ-एकरूपता से काम किया जाए। इसे ध्यान में रखकर शिप्रा प्राधिकरण के गठन का निर्णय लिया गया है। प्राधिकरण बनाने को लेकर अधिकारी स्तर की कई बैठक हो चुकी है।
यह होगा प्राधिकरण का काम
- शिप्रा के लिए सभी विभागों के साथ प्लानिंग तैयार की जाएगी। एकसाथ मिलकर काम किया जाएगा।
- रिवर फ्रंट को विकसित करने की योजना बनेगी
- उन सभी स्पॉट को बंद करवाया जाएगा, जहां से गंदा पानी नदी में मिलता है।
- इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदी के गंदे पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट के उचित संचालन पर मॉनिटरिंग करना।
- शिप्रा पर्यटन की योजना और धार्मिक दृष्टिकोण पर भी प्लानिंग की जाएगी।
मानव निर्मित चुनौतियां
- जल संचयन संरचनाओं का मेंटेनेंस नहीं होना, सही जगह निर्माण का आभाव
- सेटेलाईट सर्वे से सिंक कर डग वेल, डाईव, स्टॉप डैम का निर्माण और रिपेयर का अभाव
- इंदौर के सीवेज वाटर का सीधे कान्ह के माध्यम से क्षिप्रा में मिलना
- इंडस्ट्रीयल प्रदूषण बिना ट्रीटमेंट सीधे कान्ह / नालों के माध्यम से क्षिप्रा में छोडऩा
- भूजल का अत्यधिक उपयोग, डोमेस्टिक / इंडस्ट्री नलकूप और सिंचाई में
- कम जल निकासी घनत्व
- सूक्ष्म सिंचन पद्धति का कम उपयोग
- जन जागरण, जन सहयोग का पूर्ण अभाव









