अधिकांश बसों में दो दरवाजे और एक इमरजेंसी गेट नहीं

परिवहन विभाग के नियमों पर नहीं अमल, अधिकारी भी बने रहते हैं लापरवाह

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

advertisement

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:परिवहन विभाग हर बार बड़े बस हादसे के बाद नए नियम बनाता है। विभाग के आला-अफसरों द्वारा इन्हें सख्ती से लागू करने के दावे किए जाते हैं। लेकिन अफसरों के इसमें रुचि न लेने से इनका पालन नहीं हो रहा है। करीब 9 साल पहले बसों में बड़ी यात्री बसों में दो गेट और एक इमरजेंसी गेट (बस के पिछले हिस्से में) लगाने के निर्देश दिए थे। उज्जैन शहर से चलने और यहां आने वाली अधिकांश बसों में इस नियम-निर्देश का पालन नहीं हो रहा है।

वर्ष 2011 में बड़वानी जिले के सेंधवा में सवारी बैठाने के विवाद में यात्रियों को बस में बंद कर आग लगा दी गई थी। इस दौरान बस में एक दरवाजा होने के कारण कई यात्री बाहर नहीं निकल पाए और जिंदा जल गए थे। पन्ना जिले में बस के खाई में गिरने के बाद उसमें आग लगने से 21 यात्रियों की मौत हो गई थे।

advertisement

दोनों ही घटना के दौरान बस में एक दरवाजा होने के कारण कई यात्री बाहर नहीं निकल पाए और जिंदा जल गए थे। इसके बाद सरकार ने आनन-फानन में विभाग की उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर बसों में सुरक्षित सफर के लिए नियम-निर्देश का सख्ती से पालन करने के आदेश दिए थे।

यह है नियम

advertisement

सभी बसों में 50 बाय 90 सेंटीमीटर के आपातकालीन गेट लगाना अनिवार्य होगा।

बसों में दो गेट और एक इमरजेंसी गेट होंगे।

32 सीटर तक की बसों को 75 किमी से अधिक का परमिट नहीं मिलेगा।

हर साल ड्राइवर की आंखों की जांच जरूरी। इसमें लापरवाही पर बस संचालक के परमिट के साथ ड्राइवर लायसेंस भी रद्द होगा।

15 साल से पुरानी खटारा बसों को परमिट नहीं मिलेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले वाहनों पर सफेद पट्टी पर नीले अक्षर से लिखे जाने वाले ग्रामीण सेवा की बजाए अब केसरिया पट्टे पर नीले अक्षर से ग्रामीण सेवा लिखा जाएगा।

नियम पालन में किसी की रुचि नहीं

हादसे के बाद राज्य सरकार ने बड़ी यात्री बसों में दो गेट और एक इमरजेंसी गेट (बस के पिछले हिस्से में) लगाने के निर्देश दिए थे। 5 जनवरी 2015 को अधिसूचना जारी कर इसे अनिवार्य किया। हालांकि इस नियम के पालन में न तो बस संचालकों की रुचि है और न ही विभाग के अफसर इस ओर ध्यान दे रहे हैं। शुक्रवार को सुबह इस नियम के पालन को लेकर पड़ताल करने पर चौंकाने वाली स्थिति उजागर हुई। अधिकांश बसों में इमरजेंसी गेट तो दूर, दूसरा गेट तक नहीं था। अफसरों के इसमें रुचि न लेने से इनका पालन नहीं हो रहा है।

विभाग द्वारा अभियान चलाकर कार्रवाई के साथ जुर्माना वसूला जा रहा है।-संतोष मालवीय,आरटीओ उज्जैन।

Related Articles

close