उज्जैन:मास्टरप्लान पर भोपाल में मंथन, करोड़ों के खेल की उठी आवाज

उज्जैन।उज्जैन के मास्टरप्लान 2035 पर गुरुवार को राजधानी भोपाल में मंथन शुरू हो चुका है। इसमें अहम फैसले हो सकते हैं। ऐसे में टीएंडसीपी में करोड़ों का खेल करने का आरोप लगाते हुए आपत्ति के रूप में आवाज गूंजी है।
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मास्टरप्लान को लेकर एकबार फिर हलचल तेज होने के आसार हैं क्योंकि नगर तथा ग्राम निवेश (टीएंडसीपी) मुख्यालय में प्लान के प्रारूप पर मंथन हो रहा है। आयुक्त सह संचालक नगर तथा ग्राम निवेश अजितकुमार को संयुक्त संचालक एसके साधव व अधिकारी प्रजेंटेशन देने पहुंचे हैं। इस दौरान अहम फैसले या संशोधन भी किए जा सकते हैं। इस बार प्लान पर नेताओं से लेकर साधु संतों की भी नजरें लगी हुई हैं। लंबे समय से प्लान बनाने की तैयारी चल रही है।
टीएंडसीपी के भरतपुरी प्रशासनिक क्षेत्र स्थित कार्यालय में बुधवार को एडवोकेट व कांग्रेस से पार्षद रहे रवि राय ने आपत्ति पेश की है। इसमें कई अहम सवाल भी खड़े किए गए हैं। पत्र में कहा है कि प्रस्ताव में उन कृषि जमीनों को भी आवासीय किया जा रहा है जिससे शासन को लेव्ही के तौर पर 15 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। यह बड़ी चपत लगेगी। यह भी साफ लिखा है कि जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है।
500 करोड़ का खेल!
आपत्ति में यह भी कहा है कि प्रारूप में देण्डिया, मिंडीया, शकरवासा, नीमनवासा, जीवनखेड़ी, दाउदखेड़ी और सांवराखेड़ी की करीब 500 एकड़ कृषि जमीन को आवासीय करने का प्रस्ताव है। इससे सरकार को 500 करोड़ रुपयों तक के राजस्व की हानि होने के आसार हैं। इससे बिल्डरों व कॉलोनाइजरों को फायदा मिलेगा।
अधूरी समिति, सदस्यों की ही जमीन..!
यह आपत्ति भी लगाई गई है कि नियम 17 के तहत बनी समिति ही अधूरी है। समिति में महापौर व निगम अध्यक्ष को रखना चाहिए लेकिन अभी इनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। इससे इन सदस्यों की रिक्तता है। समिति में जो सदस्य हैं उनकी ही जमीनें प्रस्ताव में आ रहीं। इसलिए सवाल खड़े हो सकते हैं। उन्होंने नई समिति बनाने की भी पेशकश की है।
प्लान का सफर : 1976 में प्रथम विकास योजना 1991 तक के लिए बनी थी।
2006 में इसका पुनर्विलोकन कर 2021 तक के लिए बनाई गई।
2021 की योजना का अमृत गाइडलाइन के आधार पर पुनर्विलोकन कर 2035 तक के लिए बनाई जा रही।