उज्जैन:शहर के एक बड़े परिवार ने भारी मन से लिया निर्णय

बुजुर्ग परिजनों को भगवान भरोसे छोड़ो, युवा की जान बचा लो

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क्योंकि…उसकी गोद में है 2 वर्ष की बिटिया, बुजुर्गों ने तो देख ली दुनिया

ललित ज्वेल.उज्जैन।शहर के एक संस्कारवान बड़े परिवार का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आनेवाले दिनों में किसप्रकार की स्थितियां देखने को मिल सकती है? कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव और शासन-प्रशासन स्तर पर लिए जा रहे ढीले निर्णयों ने आम आदमी की जींदगी को खिलोना बना दिया है। व्यवस्थाओं को दोष देने की जगह एक परिवार ने अपने सभी वरिष्ठों से मोबाइल पर चर्चा की, कुछ से प्रत्यक्ष में भेंट की और निर्णय लिया गया कि रेमडेसीवर इंजेक्शन के अभाव में परिवार के दो लोगों का उपचार भगवान से प्रार्थना करते हुए महाकाल पर छोड़ दिया जाए। तीसरा संक्रमित चूंकि 28 वर्ष का जवान है। दो वर्ष पूर्व शादी हुई है, एक बेटी का बाप है। अत: उसको इंजेक्शन लगवा दिया जाए…। यह निर्णय जब लिया गया, यह प्रतिनिधि वहां मौजूद था। आंखों में आंसू तो सभी के थे लेकिन निश्चिंतता भी चेहरे पर थी कि भगवान तीनों को कुछ नहीं होने देगा। यह जंग भी परिवार संयुक्त निर्णय से जीत लेगा।

शहर के एक बड़े परिवार में परिवार के तीन लोगों कोरोना संक्रमित हो गए। आसुदा परिवार के पास रूपयों की कमी नहीं थी। इसलिए तीनों को तीन अलग-अलग अस्पताल में एक-एक पलंग खाली होने के चलते अलग-अलग भर्ती करवा दिया गया। सिटी स्केन में संक्रमण तीनों को 40 प्रतिशत से उपर बताया गया, इसलिए तीनों को डॉक्टर ने दो दिन पूर्व रेमडेसीवर इंजेक्शन लगाने का कह दिया। इंजेक्शन बाजार में जहां भी अधिक से अधिक दाम में मिले, वहां से खरीदे गए। कुल मिलाकर मंगलवार और बुधवार को चार इंजेक्शन का इंतजाम हो पाया। इधर युवक की तबियत तेजी से बिगडऩे लगी। थे तो तीनों ही आयसीयू में। डॉक्टर ने कहा कि इंजेक्शन का इंतजाम करो, तभी आगे बढ़ पाएंगे।

परिवार के सदस्यों ने समझदारी दिखायी और आपसी चर्चा की। तय किया कि चार इंजेक्शन में से तीनों को एक-एक लग जाएगा वहीं किसी एक को दूसरे दिन लग पाएगा। यदि गुरूवार को इंजेक्शन का इंतजाम नहीं हो पाया तो आगे क्या करेंगे? अभी तो कोई आशा की किरण नजर नहीं आ रही। तय हुआ कि सभी विचार विमर्श कर लें और किसको प्राथमिकता दें, तय कर लें। आपसी संवाद मोबाइल फोन पर भी हुआ और प्रत्यक्ष में भी।

समझदार परिवार की गिनती में आनेवाले उक्त परिवार ने अंतिम निर्णय लिया-”चूंकि भर्ती बुजूर्ग महिला-पुरूष ने अपना जीवन अच्छे से जी लिया है। सभी की प्रार्थना से बाबा महाकाल आगे भी आयु वृद्धि करेंगे ही। लेकिन युवक 26 वर्ष का ही है। दो वर्ष पूर्व ही विवाह हुआ है। एक वर्ष की बेटी है गोद में। ऐसे में उसे ही ये इंजेक्शन लगवाना शुरू करते हैं। चार तो है ही, दो का इंतजाम हो जाएगा। इस प्रतिनिधि की वहां मौजूदगी के चलते तय हुआ कि यह जिम्मेदारी इनकी रहेगी कि दो इंजेक्शन का कहीं से इंतजाम करवा लें। इतना तय करने के बाद एक सदस्य उठा और उस अस्पताल में गया जहां युवक भर्ती है। वहां उसने चिकित्सक से चर्चा की तथा सारी बात बताते हुए इंजेक्शन लगवाना शुरू कर दिए।

बुजुर्ग सदस्य बोलें- चमत्कार होगा…तुम लोगों की शुद्ध भावना का महाकाल आदर करेंगे

यह सब तो हो गया किसी फिल्म की कथा के रूप में। परिवार का एक सदस्य जब इंजेक्शन लेकर अस्पताल के लिए निकला तो घर में उपस्थित शेष सदस्यों की आंखों से अश्रु बह निकले। वे इसलिए दु:खी थे कि जिनके हाथों बड़े हुए, उनके स्वास्थ्य को भगवान के हाथों सौप दिया उन्होंने, लेकिन यह संतोष उनके चेहरे पर झलक रहा था कि आनेवाले कल के लिए युवा पीढ़ी ही सबकुछ है। ऐसे में आनेवाली पीढ़ी को बचाने के पर्याप्त प्रयास उन्होने कर लिए। हालांकि परिवार के सबसे बुजूर्ग सदस्य ने कहा: चमत्कार होगा…तुम लोगों की शुद्ध भावना का महाकाल आदर करेंगे। तीनों बच जाएंगे इस कोरोना राक्षस से। रोओ मत, सोचो कि हमारे संस्कार से तुमने यह पा लिया कि जींदगी किसके लिए कितनी जरूरी है, उसका सार समझ गए। ज्ञात रहे इन पिता के तीन लड़कों के अलग-अलग सदस्य भर्ती हैं अस्पताल में। जो युवा है, वह पर पोता है सबसे बुर्जूग सदस्य का।

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